Be confident about your preparation: PM Modi to students appearing for exams

Published By : Admin | January 20, 2020 | 10:36 IST
A temporary setback doesn't mean success is not waiting. In fact, a setback may mean the best is yet to come: PM Modi
Can we mark a space where no technology is permitted? This way, we won’t get distracted by technology: PM Modi
Be confident about your preparation. Do not enter the exam hall with any sort of pressure: PM Modi to students

नमस्ते, फिर एक बार आपका ये दोस्त आपके बीच में है। मैं सबसे पहले तो 2020, इस नववर्ष की आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और ये 2020 का सिर्फ नया वर्ष है ऐसा नही है, ये नया decade है नया दशक है और आपके जीवन में ये दशक जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही हिंदुस्तान के लिए भी ये दशक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसका मतलब ये हुआ कि इस दशक में देश जो भी करेगा, उसमें इस समय जो 10वीं-12वीं के विधार्थी हैं, उनका सबसे ज्यादा योगदान होगा। मतलब ये दशक महत्वपूर्ण बने, नई ऊचाइंयों को पाने वाला बने, नए सपने, नए संकल्प, नए अरमान, नई सिद्धियों के साथ आगे बढ़े, ये सब इस पीढ़ी पर ज्यादा निर्भर करता है। और इसलिए भी इस दशक के लिए मैं आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

सरकार में बहुत लंबे समय से मैं बंधा हुआ हूं। बहुत लंबे अर्से तक मुख्यमंत्री रहा, फिर से आप लोगों ने ये काम दे दिया। और इसके कारण कई कार्यक्रमों में जाना होता है। अनेक विद् प्रकार की प्रवृतियों से जुड़ने का अवसर मिलता है। हर प्रसंग का एक अपना अनुभव होता है। कुछ जानने को मिलता है, कुछ सीखने को मिलता है। हर एक का अपना-अपना महात्‍मय होता है, लेकिन अगर कोई मुझे कहे कि सारे इतने कार्यक्रमों के बीच वो कौन-सा कार्यक्रम है जो आपको सबसे ज्यादा दिल को छूने वाला है, अपने दिल के करीब है तो मैं कहूंगा “परीक्षा पर चर्चा”। मुझे बड़ा अच्छा लगता है क्योंकि जब इसकी तैयारी होती है जब आप लोग कुछ लिखकर के भेजते हैं और मैं देख रहा हूं कि देश के हजारों स्कूल शायद देश का कोई तहसील ऐसा नही होता होगा जो इससे जुड़ता ना हो। तो मुझे भी देश के अलग-अलग कोने में युवा मन क्या सोचता है, युवा मन क्या चाहता है, युवा मन क्या कर सकता है- ये मैं भली-भांति फील कर सकता हूं। मैं अंदाजा कर कि अच्छा इतना बढ़िया बताते है ये बच्चे मन को एक आनंद आता है।

 उसी प्रकार से जब मैं नौजवानों के साथ हैकेथॉनके कार्यक्रम में जाता हूं। भारत का उज्जवल भविष्य कितनी नई imagination के साथ आगे बढ़ सकता है ये उसमें अनुभव आता है। तो ऐसे कई कार्यक्रम जहां पर नौजवानों से मिलने का मौका मिलता है, युवा पीढ़ी से बात करने का अवसर मिलता है,वोमेरे लिए भी एक शिक्षा का अवसर होता है और इसलिए मैं, अब ये ठीक है मैं परीक्षा पर चर्चा ना करता तो प्रधानमंत्री की कुर्सी को कोई तकलीफ होने वाली नही थी, अगर मैं ना करता तो कोई अखबार में editorial भी नही छपने वाला था, कि देश का प्रधानमंत्री क्या करता है ये करता तो है ही नहीं। ये मैने खुद ने खोज करके अपने जिम्मे लिया है क्योंकि जैसे आपके माता-पिता हैं जब आप 9वीं कक्षा से निकलने की तैयारी में हो, उनके दिमाग में 10वीं, 11वीं, 12वीं भर जाती है। कुछ भी करोगे पता नही अब 10वीं में आ गया, समझ नहीं आता 12वीं है, कौन समझाएगा तुझे, ऐसा कहते है कि नहीं कहते हैं? दिन में 100 बार ये dialogue सुनते हो ना? तो मुझे लगा कि आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे थोड़ा हल्का करना चाहिए। तो जो काम वो करते हैं मैं ही सामूहिक रूप से कर लूं क्योंकि मैं भी तो आपके परिवार का सदस्य हूं। और दूसरा- हमारे यहां गुजराती में एक कहावत है “पारकी मां कान विंधे”यानि किसी को कान में छेद करते हैं, मैं भी बचपन में पहनता था लेकिन हम नीम की पत्ती का छोटा सा लगा देते थे, वो लकड़ी मां डाल देती थी। लेकिन घर में जो कहा जाता है, मम्मी-पापा रोज़ कहते है, यही सुनाते है। लेकिन कोई बाहर का कहता है तो कभी-कभी वोregister ठीक से हो जाता है। हो सकता है कि जो बात आपके मां-बाप करते हैं, आपके guardian, आपके teacher करते हैं, वही काम मैं करता हूं अलग तरीके से करता हूं और अपनेपन से करता हूं- आपका दोस्त बनकर के, आपका साथी बनकर के, एक मददगार के रूप में मैं करता हूं। इसलिए मुझे भी संतोष मिलता है और आपको भी मैं बोझ नही लगता हूं।

यार ये प्रधानमंत्री क्या कहेंगे, फिर घर जाएंगे तो यही करना पड़ेगा ऐसा तो नही है ना तो आज हम बातचीत शुरू करते हैं और आजकल की फैशन है #withoutfilter , तो हमारे बीच भी #withoutfilter है। जैसे आप अपने दोस्तो से बात करते हैं वैसे ही करेंगे। कोई बोझ नही हल्की-फुल्की बातें, गलती भी हो सकती है मेरी भी हो सकती है और मेरी होगी तो टीवी वालों को भी मज़ा आएगा। मैं ज्यादा तो उनको खुश नहीं कर सकता हूं लेकिन अगर उनको इससे भी खुशी मिलती है तो मुझे और खुशी होती है। खैर दोस्तों हल्के-फुल्के इस माहौल में हम बातचीत शुरू करते हैं पहला सवाल किसका है ?

प्रस्‍तुत कर्ता - माननीय प्रधानमंत्री जी आपके उत्साहपूर्ण प्रेरक उद्धबोधन से सभागार में उत्सव का माहौल बन गया है। इस सभागार में उपस्थित हजारो छात्र-छात्राओं के अलावा विश्वभर के 25 देशों से 30 करोड़ से अधिक छात्र, शिक्षक एंव अभिभावक इससे लाभान्वित हो रहे हैं। मान्यवर आपके आर्शीवाद और अनुमति से अब हम सभी विधार्थियों, शिक्षकों एंव अभिभावकों के लिए संयुक्त लाभदायक प्रश्नों की श्रृंखला का आरंभ करना चाहते हैं।

आइए अब प्रधानमंत्री जी की अनुमति से बढ़ते है “परीक्षा पर चर्चा” 2020 के विशिष्ट आकर्षण की ओर।

मान्यवर देश की आन, बान, शान की भूमि राजस्थान के स्‍कूल की कक्षा 10वीं की छात्रा यश्री यहां उपस्थित है और आपसे मार्गदर्शन चाहती है। अपना प्रश्‍न पूछिए यश्री।

प्रश्नकर्ता- Good Morning, Sir, I Yashri from Swami Vivekanand Government Model School, Rajasthan. My classmates and I are appearing for board exam this year- तो इसके बारे में हमारा बहुत बार mood off हो जाता है। So Sir, please motivate us and give some suggestions to face the exams without any stress and nervousness. Thank You

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद यश्री। माननीय प्रधानमंत्री जी यश्री ये जानना चाहती है कि बोर्ड की परीक्षाओं का विचार उनका मूड ऑफ कर देता है वह कैसे अपने आप को परिश्रम करने के लिए प्रेरित करे?

पीएम- मैं सोच रहा था नौजवानों का तो मूड ऑफ होना ही नही चाहिए। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि मूड ऑफ क्यों होता है? अपने खुद के कारण से कि बाहर की परिस्थिति से। ज्यादातर आपने देखा होगा कि अधिकतम केस में दिमाग खराब होता है, मूड ऑफ हो जाता है, काम करने का मन नही करता है, उसमें बाहर की परिस्थितियां ज्यादा जिम्मेदार होती हैं। जैसे, आपने मां को कहा मां मैं पढ़ रहा हूं 6 बजेमुझे कुछ चाय मिल जाए देखना फिर आप पढ़ रहे है बड़ी मस्ती से लेकिन बीच-बीच में घड़ी देखते है 6 बजे की नही बजे। तो गड़बड़ वहीं से शुरू होती है। और फिर मां को आने में देर हो गई वो 15 मिनट अंदर से तूफान खड़ा हो जाता है। मां समझती क्या है, उसमें समझ नही है कि मेरे 10वीं के exam है मुझे पढ़ना है, मैने 6 बजे चाय के लिए बोला था- मूड ऑफ। अब दूसरा सोचने का तरीका- ये सब हुआ लेकिन अगर आपने ये सोचा- अरे! मां इतनी मेहनत करती है, मेरी इतनी चिंता करती है जरूर कुछ हुआ होगा कि मां 6 बजे चाय नही ला पाई, तकलीफ में होगी। मैं ज़रा देखूं मां को कुछ हुआ तो नही है मुझे बताइए मूड ऑफ होगा या मूड चार्ज हो जाएगा, क्‍यों, क्योंकि आपने अपने अपेक्षा को इतना अपने साथ नहीं जोड़ दिया कि जिसके कारण वो अपेक्षा पूरी ना होती ही एकदम से मूड डाउन हो जाता है।

अगर हम आदत बना दे आपने देखा होगा कि हम 5-6 दोस्तों ने कोई खेलने का कार्यक्रम बना दिया है, खेलने के लिए जा रहे हैं लेकिन एक साथी अभी आया नहीं। हम लोगों को जाना है जल्दी जाना है आपने देखा होगा कि 5 जो पहुंच गए हैं उसमें 2 ऐसे होंगे जो झटपटाएंगे, यार आया नही-यार आया नही, लेट हो गया। उनका दिमाग उसमें है, 3 ऐसे होते है अरे यार छोड़, आएगा। अपने मन का कैसा हम मैनेजमेंट करते है। ये मूड का साथ जहां तक motivation और de-motivation का सवाल है- जीवन में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसको इन चीजों से गुजरना ना पड़ता हो। हर किसी को इस दौर से गुजरना ही पड़ता है। बार-बार गुजरना पड़ता है। कभी कुछ करने के लिए बहुत motivated होते हैं, कभी एकदम से असफलता मिली तो de-motivate हो जाते हैं।

अब आप देखिए चंद्रयान आप सब रात को जाग रहे थे। चंद्रयान को भेजने में आपका कोई contribution था क्या, नहीं था, लेकिन आप ऐसा ही मन लगाकर बैठे हुए थे जैसे आपने ही किया है, ऐसा होता था कि नहीं होता था? और जब नहीं हुआ आप सब के सब scientist तो बाद में पूरा हिंदुस्तान एक प्रकार से demotivate हो गया था कि नहीं हो गया था? आप सब रात को जाग रहे थे कभी-कभी विफलता हमको ऐसा कर देती है। उस दिन मैं भी वहां मौजूद था। मैं आज एक सीक्रेट बताता हूं कुछ लोगों ने मुझे बताया था कि मोदी जी आपको वहा इस कार्यक्रम में नही जाना चाहिए क्योंकि इसमें कोई surety नही है आप जाएंगे और फेल हो गया तो क्या करोगे? मैंने कहा इसलिए मुझे जाना चाहिए और जब लास्ट कुछ मिनट थे मैं देख रहा था कि साइंटिस्टों के चेहरे पर बदलाव दिख रहा है, तनाव दिख रहा है, एक-दूसरे की तरफ देख रहे है। तो मैं समझा कुछ अनहोनी है। हम साइंटिस्ट तो है नही पूरा समझ आता नही था लेकिन उनके चेहरे से लगा कि कुछ अनहोनी हो रही है। फिर थोड़ी देर में आकर के उन्होनें मुझे बताया। मैनें कहा ठीक है आप ट्राइ कर रहे है ठीक है करिए मैं बैठा हूं। फिर 10 मिनट के बाद उन्होने बताया था नहीं हो पाया तो फिर मैं साइंटिस्टों के साथ वहां बैठा, बाते की अंदर भी जाकर थोड़ा चक्कर लगाया, चिंता मत कीजिए ऐसा करके फिर मैं रात को करीब 3 बज गए थे फिर मैं अपने होटल गया। लेकिन मैं चैन से बैठ नहीं पाया, सोने का मन नहीं करता था। हमारी जो पीएमओ की टीम है वो अपने कमरे में चली गई थी। आधा-पौना घंटा ऐसे ही बिताया मैं चक्कर काट रहा था तो मैंने कहा कि ऐसा करो कि सबको बुला लो। तो फिर जो बेचारे सो गए थे उन्हे बुलाया मैनें कहा देखिये सुबह हमको जाना है लेकिन हम कार्यक्रम बदल कर देंगे। सुबह हम जल्दी नहीं जाएंगे देर से जाएंगे। अब इन साइंटिस्टो को रात के 3 बज गए है लेकिन क्या सुबह 7.30-8.00 बजे इकट्ठे हो सकते है क्या, मैं मिलना चाहता हूं। मैं सुबह उठकर जा सकता था, सुबह उठकर चला जाता इस देश में कोई नोटिस भी नही करता। कोई जरूरत भी नही थी मैं खुद को समझा नहीं पा रहा था और इसलिए मैंने सुबह उन साइंटिस्टों को फिर से इकट्ठा किया, मेरे भाव मैंने व्यक्त किए उनके परिश्रम को जितनी सराहना की जा सकती है की। देश के सपनों की बाते की। एक पूरा माहौल बदल गया। और वहां बदला ऐसा नही है पूरे हिंदुस्तान का बदल गया। जिस घटना ने और बाद में क्या हुआ सब आपने टीवी पर देखा है मैं कहना नहीं चाहता हूं। कहने का मतलब ये है कि हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते है। और किसी चीज में आप विफल हो गए इसका मतलब ये है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हैं। अगर वहीं रुक गए फिर तो कितने ही ट्रैक्टर लगा दें आपको खींचने के लिए नहीं निकल सकते हो, ये खुद तय करो तो आप निकल सकते हो। और इसलिए motivation, demotivation आपको मालूम होगा 2001 में शायद कलकत्ता में इंडिया-ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच था तो आपमें से कुछ लोग होंगे जिनका जन्म भी नहीं हुआ होगा और ऐसी स्थिति हो गई। 2001 में ऑस्ट्रेलिया और भारत का कोलकाता में मैच था।फॉलोऑनहोना पड़ा बुरे हाल थे, दोबारा खेलने आए तो विकेट जाने लगी। सारा माहौल demotivation का था,audience भी नाराजगी अपनी व्यक्त करती रहती है। भूल जाती है कि मेरे अपने खेल रहे है थोड़ा उत्साह बढ़ाओ। लेकिन आपको याद होगा राहुल द्रविड और वीवीएस लक्ष्मण, इन दोनों ने उस पिच पर जो कमाल किया, ऐसे शाम तक खेल को खींचते चले गए सारी परिस्थिति को उलट कर दिया। इतना ही नही वो जीतकर आ गए मैच को। माहौल पूरा demotivation का था लेकिन एक संकल्प- कैसे हार सकते हैं, जुट जाएंगे, जूझेंगे, एक-एक बॉल के साथ खेलकर ताकत दिखाएंगे। परिणाम दिया। 2002 में भी आपने देखा होगा भारत की टीम वेस्टइंडीज खेलने गई थी तो उस समय हमारे एक अच्छे बॉलर अनिल कुंबले उनको एक बाउंसर से चोट आई पूरा जबड़ा टूट गया काफी पट्टियां बांधकर के, पेन आप समझ सकते है जब चोट लगती है तो। दांत में थोड़ा सा भी दर्द होता है कितना होता है। अब स्थिति ये थी कि अनिल बॉलिंग कर पाएंगे या नही कर पाएंगे लेकिन उन्होने दर्द की परवाह नही की। रोते नही बैठे अगर वो ना भी खेलते तो देश दोष उनको नही देता ये उन्होने तय किया कि ये मेरा जिम्मा है ठीक है दर्द होता है तो होता है जितनी पट्टियां लगा सकते हैं लगाए, मैदान में उतरे। और आपको पता होगा कि उस समय लारा की विकेट लेना यानि बड़ा achievement माना जाता था और ब्रियन लारा की विकेट लेकर के उन्होने मैच का पूरा चित्र पलट दिया। यानि एक व्यक्ति का संकल्प ओरों को भी motivation का कितना बड़ा कारण बन जाता है।

ऐसी अनेक घटनाएं आपके सामने होंगी,‍ जिसको देख करके आप तय कर सकते हैं कि मैं, emotions को manage करने का मेरा तरीका, उस पर देखने का मेरा कैसा तरीका है, उस पर निर्भर करता है। अगर इसको हमने कर लिया तो मूड ऑफ होगा लेकिन फिर भी आप पल दो पल में उसको manage भी कर लेंगे। और फिर आप उसी स्‍वस्‍थ मन से अपनी बात को आगे बढ़ा सकेंगे। धन्‍यवाद आपको।

प्रस्‍तुतकर्ता– लक्ष्‍य प्राप्ति में आने वाली सभी बाधाओं का निराकरण आपके वचनों से हो गया माननीय। अब मूड एकदम फ्रेश हो गया सर। धन्‍यवाद। माननीय प्रधानमंत्री जी की साधना स्‍थली केदारनाथ के राज्‍य उत्‍तराखंड से कक्षा 10वीं के मयंक नेगी, Blooming Vale Public School, श्रीमान से मार्गदर्शन चाहते हैं। May be have the question please?

प्रश्‍नकर्ता - माननीय प्रधानमंत्री महोदय, सुप्रभात। मैं Blooming Vale Public School, कोटद्वार, उत्‍तराखंड से कक्षा 10 का छात्र हूं। सफल लोग जैसे, बिल गेट्स और थॉमस एडीसन और मार्क जुकरबर्ग अपने प्रारंभिक जीवन में असफल साबित हुए हैं। अत: परीक्षा में प्राप्‍त अंकों द्वारा ही किसी की पहचान नहीं की जा सकती है। माननीय महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि परीक्षा में अच्‍छे अंक प्राप्‍त करने हेतु हम अपना कितना ध्‍यान केन्द्रित करें? धन्‍यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता - धन्‍यवाद मयंक। मान्‍यवर प्रधानमंत्री जी, मयंक यह जानना चाहते हैं कि जीवन में सफलता का मापदंड क्‍या केवल परीक्षा में प्राप्‍त Marks हैं?

पीएम– आपकी ये चिंता सही है और शायद हर विद्यार्थी को घर में और स्‍कूल में लगातार इसी का मुकाबला करना पड़ता होगा। क्‍योंकि जाने-अनजाने में हम लोग उस दिशा में चल पड़े हें हमारी शिक्षा को ले करके, जिसमें सफलता-विफलता का एक Turning Point कुछ विशेष परीक्षाओं के Marks बन गया है। और उसके कारण मन भी उस बात में रहता है कि बाकी सब बाद में करूंगा, एक बार Marks ले आऊं। मां-बाप भी यही एकenvironment create करते हैं कि अरे भाई, पहले तुम 10वीं बढ़िया कर लो, फिर कोई problem नहीं, तुम्‍हारा रास्‍ता साफ हो जाएगा। फिर 11वीं में आएंगा तो फिर कहेंगे, भई बात बराबर है, लेकिन 12वीं बहुत महत्‍व की हे यार, इस पर जोर लगा दो। फिर कहेंगे Entrance Exam पर जोर लगा दो। उनका इरादा होता है कि बच्‍चों को जरा motivate करें, उत्‍साहित करें। लेकिन किसी जमाने में शायद येसत्यहोगा, लेकिन आज दुनिया बहुत बदल चुकी है, संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं। सिर्फ परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं हैं। उसी प्रकार से कोई एक Examination, ये पूरी जिंदगी नहीं है, ये एक पड़ाव है। सबसे पहले हमने हमारे पूरे जीवन का येएक महत्‍वपूर्ण पड़ाव मानना चाहिए, लेकिन यही सब कुछ है, ये कभी नहीं मानना चाहिए। जिस दिन, मां-बाप को मैं खास प्रार्थना करूंगा कि आप बच्‍चों को- ये नहीं तो भई कुछ नहीं, ये जो मूड बना देते हो, मेहरबानी करके ऐसा मत करो। ये हुआ, अच्‍छी बात है। ज्‍यादा अच्‍छा हो, और अच्‍छी बात है, लेकिन कुछ न हुआ तो जैसे दुनिया लुट गई, ये सोच बिल्‍कुल ही आज के युग में उपयुक्‍त नहीं है। बहुत सारे स्‍कोप हैं, जीवन के किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं आप।

आपने देखा होगा किसान- हो सकता है स्‍कूली शिक्षा बहुत कम हुई हो, लेकिन वो सीखता है, अनुभव करता है, technology adopt करता है, खेती की पद्धति बदलता है, आधुनिक करता है, जीवन को कितना बढ़िया बना देता है। और इसलिए मैं साफ कहूंगा कि परीक्षा का महात्‍मय है, उसके बावजूद भी परीक्षा ही जिंदगी है, ये सोच से हमें बाहर आना चाहिए1 जीवन में कई प्रवृत्तियां होती हैं, कई चीजें होती हैं, इसको ले करके हम आगे बढ़ सकते हैं।

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद माननीय प्रधानमंत्री जी। आपके प्ररेक वचन हम सबके लिए प्रेरणा के सूत्र हैं। The next question comes from the heart of India, the State of Madhya Pradesh. Prajakta Atankar, a student of class IXth of Kendriya Vidyalaya, Jabalpur, joins us to ask her question. Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता – My name is Prajakta Atankar, from Kendriya Vidyalaya, Jabalpur MP. My question to honorable Prime Minister. The balance between co curricular activities and studies is very important. But these activities distract the children. Is it so?

प्रस्‍तुतकर्ता - इसी से मिलता-जुलता एक और प्रश्‍न है। Government Girls Senior Secondary School No. 2 दिल्‍ली की कक्षा 9वीं की छात्रा, रिया नेगी अपने मन में उठने वाले प्रश्‍न का समाधान चाहती हैं। रिया सभागार में बैठी हैं। रिया, कृपया अपना प्रश्‍न पूछें।

प्रश्‍नकर्ता– माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं रिया रेगी कक्षा नौवीं की छात्रा हूं। मैं Government Girls Senior Secondary School No. 2 में पढ़ती हूं। मैं दिल्‍ली से हूं और मेरा प्रश्‍न आपसे यह है कि जो छात्र पढ़ाई में बहुत अच्‍छे नहीं होते हैं मगर अन्‍य क्षेत्रों जैसे खेलकूद, संगीत इत्‍यादि में अच्‍छे होते हैं, उनका भविष्‍य क्‍या होगा, इस पर अपनी राय दीजिए।

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद रिया। महोदय, एक और प्रश्‍न है, इसी से मिलता-जुलता है। A resident of Hugli, Kolkata, the land of Great Saint Vivekanand and Noble Laureate Guru Dev Rabindranath Tagore, Anamika Bhunia of Jawahar Navodaya Vidalaya is here with us in the Audience to ask her question. अनामिका, कृपया अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता–Honorable, Prime Minister Sir, I am Anamika Bhunia, studying in class XIth Science. I am from Jawahar Navodaya Vidalaya, Hugli West Bengal. My question is, how can we make a balance between our extra curricular activities and academic activities. Sir, please give us some suggestions. Thank You. 

 प्रस्‍तुतकर्ता - Thank You, अनामिका। मान्‍यवर, प्रजाकता, रिया व अनामिका उत्‍सुक हैं यह जानने को कि पाठ्य सहगामी क्रियाओं व पढ़ाई के बीच सामंजस्‍य या बैलेंस कैसे स्‍थापित करें?

पीएम- अच्‍छा, आप लोगों से मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं, जवाब देंगे? आप में से ऐसे कितने लोग हैं, जो ये मानते हैं कि कोई भी Extra Curricular Activity करता हूं या करती हूं तो मेरी पढ़ाई में नुकसान होता है, ऐसा मानने वाले कितने हैं? कोई नहीं है। अच्‍छा, जो मानते हैं मेरे लिए पढ़ाई का महत्‍व है, लेकिन जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए अन्‍य activity भी बहुत जरूरी हैं, ऐसा मानने वाले कितने हैं? अच्‍छा, उसमें भी थोड़ा उत्‍साह कम है। अच्‍छा, तीसरा सवाल- जो ये मानते हैं हां extraactivity होनी चाहिए और जो समय दे करके regularly करते भी हैं, ऐसे कौन-कौन हैं? चलिए, ये स्थिति हमें बदलनी है। देखिए, आखिरकार हम जो शिक्षा व्‍यवस्‍था से शिक्षा प्राप्‍त करते हैं, वो एक प्रकार से बहुत बड़ी दुनिया के दरवाजे खोलने का रास्‍ता होती है। उसी से दुनिया में हम प्रवेश करते हैं।

जब बालक alphabet सीखता है, A या क, उसका मतलब कि वो एक नई दुनिया में प्रवेश कर रहा है। पहले alphabet सीखेगा, उसके बाद दो-दो अक्षरों का शब्‍द सीखेगा, फिर तीन अक्षर वाला शब्‍द सीखेगा, फिर दो-दो शब्‍दों को सीखेगा। शुरू तो किया था क से, लेकिन करते-करते-करते वो कहां पहुंच गया। क्‍योंकि वो एक entrance point था। हमारी पूरी शिक्षा जो है वो हमें कुछ करने, जानने के लिए एक अवसर देती है। उसी को आधार बना करके हमें आगे बढ़ना होता है। कोई अगर ‘सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सा’ ये बहुत परफेक्‍ट कर ले यानी हिन्‍दुस्‍तान के top most जो म्‍यूजिक की दुनिया के लोग हैं, वो भी उसकी वाहवाही करें, वैसा ही ‘सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सा’, लेकिन वो वहीं रुक जाए तो वो संगीत की दुनिया में कुछ कर सकता है क्‍या, कर सकता है क्‍या? ‘सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सा’ संगीत की दुनिया में प्रवेश करने का एक entrance point है। उसको आत्‍मसात करने के बाद संगीत की सारी विद्याओं में उसको जाने का अवसर मिलता है। लेकिन अगर वो ये कहे कि मैंने तो शिक्षा ले ली, ‘सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सा’ आ गया, अब मुझे संगीत आ गया, अब मुझे कुछ करना नहीं, तो होगा क्‍या? मतलब actually जो हम सीखते हैं इसको daily कसौटी पर कसना चाहिए-daily, और टीचर जो question-answer करेउसकीकसौटी पर नहीं, जिंदगी की कसौटी पर कसना चाहिए। अगर क्‍लास में मुझे पढ़ाया गया कि भाई कम बोलने से फायदा होता है तो फिर कभी कोशिश करनी चाहिए कि जब मां-बाप बहुत डांट रहे हैं, कुछ गलती करके आए हैं, तो ट्रॉयल करना चाहिए, वो जो कम बोलने वाला कहा था, यहां काम आएगा क्‍या। अगर आप कोई extra activity नहीं करते हैं, आप एक बिल्‍कुल रोबोट की तरह जो सॉफ्टवेयर आपके अंदर डाला है, उसी प्रकार से सुबह से शाम करते रहोगे तो आप रोबोट बनकर रह जाओगे। क्‍या हम चाहते हैं कि मेरा देश का नौजवान रोबोट बन जाए, नहीं चाहते।

हमारा नौजवार ऊर्जा से भरा हुआ, सपनों को लेकर चलने वाला, साहस, सामर्थ्‍य दिखाने वाला, ये अगर नहीं होगा तो कुछ नहीं होगा। और इसलिए हमने अन्‍य गतिविधियां, activity, उसमें उदासीन कभी नहीं रहना चाहिए। ये ठीक है समय का मेनेजमेंट करना चाहिए, संतुलन करना चाहिए, लेकिन उस activity, यानी बिल्‍कुल बेकार, सब बरबाद हो जाएगा, ये नहीं होना चाहिए। एक समय था जब अवसर बहुत कम थे, तो लगता था, भाई एक बार किताबों की दुनिया से आगे बढ़ जाऊं तो रास्‍ते खुल जाएंगे। आज ऐसा नहीं है। आज अवसर बहुत हैं और इसके लिए अगर हम कोशिश करें, हम प्रयास करें तो हम अवश्‍य परिणाम प्राप्‍त कर सकते हैं। और इसलिए मैं चाहूंगा कि हमने जीवन में extra activity को बढ़ाना है। लेकिन एक नई बुराई इन दिनों प्रवेश कर गई है। ये बुराई बहुत चिंताजनक है। क्‍या हुआ है, Parents के लिए ये extra activity एक प्रकार से फैशन स्‍टेटमेंट हो गया है। जब मां-बाप अपने दोस्‍तों के बीच में बैठते हैं तो उनको ये कहने का मजा आता है- मेरा बेटा सुबह क्रिकेट कोचिंग में जाता है, फिर दस बजे टेनिस में जाता है, फिर 11 बजे स्‍वीमिंग के लिए जाता है, फिर पांच बजे मणिपुरी डांस सीख रहा है, उनको बड़ा मजा आता है।

क्‍यों, कभी-कभी मां-बाप सोच लेते हैं कि जो glamour driven extra activity है, celebrity के रूप में आपको अच्‍छा लगता है। ऐसी गतिविधि मेरे बच्‍चों से कराऊंगा। तब क्‍या होता है, जैसे मां-बाप बच्‍चों पर exam को लेकर दबाव डालते हैं, अब ये extra activity के लिए भी मां-बाप दबाव डालने लगे हैं। हो रहा है ना कइयों को? नहीं बोलेंगे। मैं आपकी मुश्किल जानता हूं क्‍योंकि बोलेंगे और टीवी पर घरवाले देख लेंगे तो। लेकिन ये सही है, मां-बाप का भी काम है कि बच्‍चे को-एक तो स्‍थानीय व्‍यवस्‍था में अवसर कहां-कहां आ गया- उसमें से उसकी रुचि वाली चीजें कौन सी हैं, मां-बाप ने उसके साथ बातें करते-करते निकालना चाहिए और जिसमें उसकी रुचि है उस activityच्‍छा ty ्‍या में ले जाना चाहिए। लेकिन बहुत ही अच्‍छे तरीके से, well structured way में भी extra activity को कहीं न कहीं तो बांधना चाहिए। तब जा करके आप अपने आपको evaluate कर सकते हो और जीवन में एक संतोष भी प्राप्‍त कर सकते हो। आपने देखा होगा, कई लोग ऐसे होंगे 35-40 साल के बाद ये करना मुश्किल हो जाता है, तो उनके मनमेंबोझ रहता है, यार स्‍कूल के जीवन में ये भी नहीं किया, ये भी नहीं किया, ये भी नहीं किया, ये भी नहीं आता, वो भी नहीं आता। तो फिर उसके लिए वो जिंदगी बोझ बन जाती है।

अगर आप स्‍कूली जीवन में विविधताओं भरे जीवन को कसने की आदत बनाते हैं तो आने वाले जीवन में ये बहुत उपयोगी होता है। जितना क्‍लासरूम में पाई हुई शिक्षा का महत्‍व बन जाता है, उतना ही 35-40 साल की उम्र के बाद ये अन्‍य चीजों से जो अपने-आप को कसा हुआ है, वो जीवन जीने के लिए बहुत काम आता है। और इसलिए एक को दूसरे का दुश्‍मन नहीं मानना चाहिए। एक, दूसरे को नुकसान कर रहा है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। हमें extra activity करनी चा‍हिए और दूसरा- 10वीं, 12वीं के विद्यार्थियों को मैं जरूर कहूंगा कि आप कुछ न कुछ तो extra कीजिए, daily 5 मिनट, 10 मिनट, 15 मिनट, तो आपका mind थोड़ा फ्रेश हो जाएगा। आप उसी में लगे रहोगे किताब, ये बस, एक-एक चीज दस-दस, बीस-बीस बार करते रहोगे तो आप बिल्‍कुल बंध जाओगे। तो ऐसा बिल्‍कुल मत होने दीजिए।

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद प्रधानमंत्री जी, आपके मार्गदर्शन के लिए। K.Divya class 10thstudent of Government Model Senior Secondary School, Andaman. She seeks respected Prime Minister’s viewpoints on certain issues. Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता –Honorable, Prime Minister Sir, Namskar. I am K. Divya, of Class 10, from Government Model Secondary School, Andaman and Nicobar Island. My question to you is what should be the role of modern technology in a student’s life?

प्रस्‍तुतकर्ता- Question comes from the Deepesh Rai, a student of class XIIth of Namchi Secondary School, South Sikkim and has travelled all the way from Sikkim to be here with us in the Audience, to ask his question. दीपेश अपना प्रश्‍न पूछिए ।

प्रश्‍नकर्ता– Good Morning every one. Honorable, Prime Minister. My name is Deepesh Rai, studying in class XII from Namchi Secondary School, Sikkim. Sir, my question is that many children in the world are using educational technology to learn better. So, how can it have was?

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद, दीपेश। महोदय, दिव्‍या एवं दीपेश जानना चाहते हैं कि विज्ञान और टेक्‍नोलॉजी छात्र जीवन में किस प्रकार सहायक हो सकते हैं? कृपया मार्गदर्शन करें।

पीएम – शायद पिछली शताब्‍दी के आखिरी कालखंड और इस शताब्‍दी का आरंभ कालखंड, विज्ञान और टेक्‍नोलॉजी ने पूर्ण रूप से जीवन को बदल दिया है। एक प्रकार से जीवन भी technology driven हो गया है। अब इसलिए टेक्‍नोलॉजी का भय, ये कतई अपने जीवन में आने नहीं देना चाहिए। ये technologyआई, मैं क्‍या करूं, आने नहीं देना चाहिए। दूसरा, अब technology आई तो मेरी तो पूरी जिंदगी ही बर्बाद हो जाएगी, मैं पहले तो ऐसे सोचता था ऐसे करता था। अब जब नई चीज आई मैं कैसे cope upकरूंगा?

जी नहीं, Technology को हम अपना दोस्‍त मानें। बदलती हुई technology को हम पहले से समझने की कोशिश करें, हम Proactive हों। तीसरा, क्‍या सिर्फ Technology का ज्ञान होने का ये फायदा है कि दोस्‍तों के बीच में छटाके मारने के लिए काम आएगा? कि मुझे ये पता है कि दुनिया में ये हो रहा है, कैमरा ऐसा निकला है, मोबाइल फोन ऐसा निकला है। नहीं-जब मैं Technology के विषय में जानता हूं तो मेरी कोशिश रहनी चाहिए कि मैं जिस प्रकार की सोच को ले करके काम कर रहा हूं, मेरे लिए इसमें उपयोगी कैसे होगा। क्‍या मैं Technology को मेरे लिए लाऊंगा कि Technology मेरा समय खा जाएगी? ज्‍यादातर अनुभव ये आ रहा है कि कईयों का समय Technology चोरी कर लेती है।

आपमें से कितने हैं जो Smart Phone उपयोग करते हैं? बताइए ना, सकोंच मत कीजिए, आपके टीचर नहीं देख रहे हैं। अब जरा सोचिए, ये स्‍मार्ट फोन कितना समय आपका चोरी करता है? और मान लीजिए उसमें से 10 पर्सेंट कम करके अपने मां, दादा-दादी, इनके साथ अगर बिताएं, दस-दस मिनट मैं कह रहा हूं, ज्‍यादा नहीं। आज आपका स्‍मार्ट फोन जितना समय खाता है, जितनी चोरी कर जाता है, उसमें से दस मिनट अपने दादा-दादी, मां, उनके साथ बैठकर बिताओ तो Technology ज्‍यादा उपकारक बनेगी कि दादा-दादी के साथ खुले मन से दस मिनट की बात ज्‍यादा उपकारक? क्‍या होगा? मतलब Technology हमारा समय चोरी कर जाए, Technology हमें खींचकर ले जाए, इससे हमें बचना चाहिए। हमारे में वो ताकत होनी चाहिए मैं Technology को मेरे कब्‍जे में रखूंगा।

मैं Technology को मेरी इच्‍छा के अनुसार उपयोग करूंगा और इसलिए Technology के प्रति, और मुझे खुशी होती है, आप देखिए, आप रेलवे स्‍टेशन पर जाइए। रेलवे स्‍टेशन पर एक पूछताछ की विंडो होती है। वहां पर कोई अफसर बैठे होते हैं, ट्रेन कब आएगी, कब जाएगी, रजिस्‍ट्रेशन आदि, पूछने के लिए जाते हैं। लेकिन उसी पर एक बहुत बड़ा बोर्ड लगा रहता है और आजकल तो इलैक्ट्रॉनिक सिस्‍टम वाला बोर्ड होता है। उस पर सब लिखा होता है, ये ट्रेन का नाम है, कहां से कहां जाती है, कितने नंबर के प्‍लेटफॉर्म पर आएगी, लेट चल रही है कि समय पर; सब लिखा हुआ होता है।लेकिन हम जो पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, वे क्‍या करते हैं, खिड़की के पास कतार लगाकर खड़े हो जाएंगे। 20 नंबर, 30 नंबर, खड़ा रहूंगा, ऊपर देखूंगा, पढ़ूंगा नहीं। मेरे सवाल का जवाब वहां है, वो बता रहा है कि दिल्‍ली एक्‍सप्रेस, जम्‍मू तवी एक्‍सप्रेस इतने बजे जाने वाली है, इतने नंबर पर जाएगी, पांच मिनट लेट है, सात मिनट; लेकिन मैं जब तक उसको नहीं पूछता हूं...।

आपने देखा होगा बहुत लोग होते हैं कि किसी को मैसेज करेंगे फिर फोन करके पूछेंगे, मेरा मैसेज मिला? और इसलिए Technology का हम, आज की पीढ़ी क्‍या करती है? वो घर से ही मोबाइल फोन पर गुगल गुरू से बात कर लेती है और देख लेती है ट्रेन कौन सी लेट है, कौन सी नहीं है, तो घर से ही कितने बजे निकलना है तय कर लेते हैं, करते हैं या नहीं करते? मतलब उसने Technology का सही उपयोग किया। एक पीढ़ी वो है कि सामने है फिर भी देखने को तैयार नहीं, जब तक पूछता नहीं है। अब नई पीढ़ी वो है, जो पूछने के लिए तैयार ही नहीं है, वो कहती है मेरे पास है, मैं इसको पूछूंगा, वो जो कहेगा वो ही सही है। इसका मतलब कि उसको Technology का उपयोग क्‍या हो, ये उसको करना आ गया।

मैं आपसे आग्रह करूंगा, जैसेvocabulary बहुत अच्‍छी होनी चाहिए, क्‍या कभी हम अपनी मातृभाषा की डिक्‍शनरी या किसी अन्‍य भाषा की डिक्‍शनरी जो भी आपको पसंद आए अंग्रेजी करना या हिन्‍दी, क्‍या daily अपने मोबाइल फोन में जो डिक्‍शनरी है, तय करेंगे कि आज मैं कम से कम दस नए Spelling और उसका meaning दिन भर में जब भी जाऊं मोबाइल फोन निकाल करके देख लूंगा और याद कर लूंगा। Per day 10, बोलिए Technology उपयोगी हुई कि नहीं हुई? तो Technology का कैसे उपयोग करना है, कहीं ऐसा न हो कि मां-बाप का और आपका झगड़ा इस बात पर हो कि दिन भर दोस्‍तों के साथ बैठे रहते हो, टे‍लीफोन पर लगे रहते हो, तो वो तो ठीक स्थिति नहीं है।

किसी समय सोशल नेटवर्किंग को बहुत आवश्‍यक माना जाता था। रोज लोग एक घंटा, दो घंटा शाम को निकलते थे, किसी फंक्‍शन में जाएंगे, दोस्‍तों के यहां जाएंगे। मिलते रहते थे, क्‍योंकि जीवन समाज व्‍यवस्‍था से जितना ज्‍यादा जुड़ करके रहता है, उतना दोनों पक्ष में लाभ होता है। ये स्‍वाभाविक व्‍यवस्‍था है। लेकिन धीरे-धीरे उस सोशल नेटवर्किंग शब्‍द में इतनी विकृति आ गई Technology के कारण, कि अब सोशल नेटवर्किंग हमारा Whats App कर रहा है। ये सोशल नेटवर्किंग उस सोशल नेटवर्किंग की कल्‍पना से एक प्रकार की विकृति है। अब पहले हम अपने दोस्‍त का जन्‍मदिन है तो सुबह चले जाते थे, जरा सरप्राइज देने का मजा आता था। अब रात को 12 बजे भी Technology को बता करके भेजो, Technology ही Whats App कर देती है, मैं सो जाता हूं। अब ये जो जीवन की जगह प्राण तत्‍वों को अगर Technology हड़प कर लेगी, तो फिर जिंदगी हमारी बहुत सुस्‍त हो जाएगी, और इसलिए Technology का maximum उपयोग भी होना चाहिए, लेकिन हम Technology के गुलाम नहीं होने चाहिए। लेकिन Technology हर पल बदलती जा रही है जी। आपको अपने जीवन को आगे बढ़ाना है, हर नई Technology के प्रति आपकी रुचि होनी चाहिए, जानना चाहिए, समय निकालकर औरों को पूछना चाहिए क्‍या नई टेक्‍नोलॉजी आई है। इसकी भी रुचि विद्यार्थी काल में हमें develop करनी चाहिए। इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा। मैं व्‍यक्तिगत जीवन में कह सकता हूंकि Technology के प्रति मेरा जो आकर्षण रहा है, Technology में मुझे आता कुछ नहीं है, लेकिन जानने का शौक रहा। क्‍या है भई, किसी को सुनता हूं तो पूछता हूं, हवाई जहाज में मेरे बगल में कोई बैठा हो, अब तो वो मौका नहीं मिलता है क्‍योंकि अब तो सरकारी व्‍यवस्‍था में फंसा पड़ा हूं, लेकिन पहले जहाज में जब जाता था मैं तो बगल में जो है उससे पूछता था अरे भई ये क्‍या चीज है आपके पास? इसका क्‍या उपयोग होता है? कैसे उपयोग होता है? Curiosity मेरे मन में रहती है और मुझे उसका बहुत बड़ा लाभ मिलता है। मैं भी आपसे चाहूंगा कि टेक्‍नोलॉजी को अपने जीवन के विकास में एक साथी के रूप में जोड़ दीजिए आप।लेकिन जिंदगी का हिस्‍सा टेक्‍नोलॉजी मत बनने दीजिए। जिंदगी का हिस्‍सा, और इसके लिए आपने देखा होगा परिवार में तीन लोग हैं, सभी तीन कोने में बैठे हैं, हर कोई मोबाइल में बिजी है।

दो काम आप कर सकते हैं क्‍या, करेंगे? करेंगे?मैंने काम तो बताया नहीं क्‍या करोगे। देखिए, एक काम- आप जीवन में तय करेंगे, Per day इतना समय मेरा, एक घंटा, दो घंटा, careful, जो मैं खाली हूं, लेकिन मैं अपने-आपको टेक्‍नोलॉजी से दूर रखूंगा। Per day, एक घंटा, दो घंटा, Technology free Hours, कर सकते हैं आप? कोई Gadget नहीं, कुछ नहीं। मैं, मेरा परिवार, मेरे दोस्‍त, मेरा बगीचा, मेरे घर में अगर कुत्‍ता है तो कुत्‍ता, जो भी है, बिल्‍ली है तो बिल्‍ली, जो भी है, ये एक घंटा मैं तय करूं No Technology, ऐसा कर सकते हैं क्‍या? जिस परिवार में दो-तीन कमरे होते हैं, कुछ बहुत ही गरीब परिवार हैं, उनके लिए तो Technology का प्रॉब्‍लम भी नहीं है, लेकिन दो-तीन कमरे हैं। क्‍या आप तय कर सकते हैं, मां-बाप से आज बैठ करके वापिस जाने के बाद कि घर के अंदर एक कमरा ऐसा तय करेंगे, जिसमें Technology को No Entry. उस कमरे में जो जाएगा, बिना Technology बैठेंगे। आप जरा करके देखिए, जिंदगी बहुत नए अनुभव वाली हो जाएगी। तो एक प्रकार से मैं टेक्‍नोलॉजी का अति महात्‍मय भी देता हूं at the same time मेरे भीतर का इंसान रोबोट न बन जाए, इसकी भी चिंता करता हूं। और इसलिए दोनों को बैलेंस बना करके चलने के कुछ तरीके हैं, जो मैंने आपको बताए हैं।

प्रस्‍तुतकर्ता - मान्‍यवर आपके सानिध्य को पाकर हम अपने जीवन में अवश्‍य सफलता प्राप्त करेंगे आपका धन्‍यवाद। उगते सूरज का प्रदेश अरूणांचल प्रदेश यहां के JNV Papumpare से तापी अकु सभागार में उपस्थित है आप से कुछ प्रश्‍न पूछना चाहती हैं, माननीय प्रधानमंत्री जी। अकु, अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता -Honorable Prime Minister very warm greetings, from the land of Rising Sun, Arunachal Pradesh, I am Tapi Aku studying in standard 12th from JNV PapumpareArunanchalPradesh.प्रधानमंत्री जी आपने पार्लियामेंट में अधिकारों और कर्तव्यों पर भाषण दिया था, वो मुझे बहुत पसंद आया। आपके अनुसार देश के नागरिकों को कर्तव्यों के प्रति हम कैसे सजग बना सकते है? धन्यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता - धन्यवाद अकु। Question similar to this one we have with us Shailash Kumar from KV Chennai. He is a class XIth student from Tamilnadu a state, famed for its heritage temples. The next question is from him. Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता - Namskar Sir, my name is P Shailash Kumar. I am a student of class XIth study in Kendriya Vidyalaya Chennai. Sir being a student what are my rights and what duties I need to perform.

प्रस्‍तुतकर्ता - Thank you Shailash. इससे मिलता जुलता एक प्रश्न और भी है। मान्यवर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी,दयानंद सरस्वती तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे व्‍यक्तित्‍व से गौरवान्वित गुजरात के महाराजा अग्रसेन विद्यालय से गुनाक्षीशर्मा आपसे अपना प्रश्न पूछना चाहती है। गुनाक्षी अपना प्रश्न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता– सुप्रभात। मेरा नाम गुनाक्षी शर्मा है। मैं कक्षा दसवीं की छात्रा हूं। मैं अहमदाबाद गुजरात के महाराजा अग्रसेन विद्यालय में पढ़ती हूं। माननीय, मैंआपसे यह प्रश्न करना चाहती हूं कि मैने civicsमें नागरिक अधिकारों एवम कर्तव्यों के बारे में पढ़ा है। इन दोनों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण क्या है? कृपया बताएं। धन्यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता–धन्यवाद गुनाक्षी। श्रद्धेय प्रधानमंत्री जी, आग्रह है कि शैलेष, गुनाक्षी एवं अकु की नागरिक कर्तव्यों के विषय की जिज्ञासा का समाधान करें।

पीएम - सबसे पहले तो यह सवाल मुझे अरूणाचल की बेटी ने पूछा है और मैं स्वाभाविक मानता हूं कि अरूणाचल की बेटी के मन से ऐसा ही सवाल निकलेगा। आपके मन में होगा ऐसा क्यों? आप में से शायद कोई अरूणाचल प्रदेश गए होंगे यह मुझे नहीं मालूम है। इस देश में अरूणाचल एकप्रदेश ऐसा है कि जो एक दूसरे से मिलते है तो जय हिंद करके greet करता है,यह हिंदुस्तान में बहुत rare है।आपको कोई भी मिलेगा तो जय हिंद करेगा और उसका कारण 1962के वॉर के बाद अरुणाचल का जो मिजाज बना है, उसी प्राकर से उन्होने अपनी भाषा के सिवाय देश के अंदर जीवन में ज्यादा प्रचार के लिए अंग्रेजी में उतनी मास्टरी और हिंदी में भी उतनी ही मास्टरी की है। आप वहां के बच्चों को मिलोगे तो आपको लगेगा और मैं आप सब से आग्रह करूंगा कि कभी ना कभी वैकेशन में दौरा करने का मन करें तो आप नॉर्थ-ईस्ट जरूर जाइए, जाएंगे? नहीं पहले तो सिंगापुर जाएंगे फिर दुबई जाएंगे। हां, उसके बाद मौका मिला तो जाएंगे, ऐसा करेंगे ना? हमारा देश सचमुच में अद्भुत है अनुभव करने जैसा है।

मैं आज जब यहां आया तो अलग-अलग बच्चों की जो पेंटिग्स है वो मुझे बता रहे थे।‍ लेकिन उसके साथ-साथ एक बड़ा अच्‍छा सुखद अनुभव रहा कि बच्चे अपनी मातृभाषा के सिवाय किसी दूसरी भाषा में अपना परिचय करवा रहे थे। महाराष्ट्र की बच्ची उड़िया भाषा में परिचय करवा रही थी, देहरादून की बच्ची मलयालम भाषा में परिचय करवा रही थी। क्यों तो “एक भारत श्रेष्ठ भारत” ये जो एक हम लोगों का काम चल रहा है। उसको लेकर इन सब बच्‍चों ने कोशिश की है। और मैं आप सब से भी आग्रह करूंगा-अपनी मातृभाषा, फिर अंग्रेजी भाषा, उसके बाद हिंदी भाषा उसके सिवाय हमारे देश में इतना समृद्ध खजाना है कोई ना कोई एक भाषा से परिचय करना चाहिए, ये जरूर करना चाहिए। अब विषय आया है कर्तव्य। एक तो जो अधिकार और कर्तव्य- ये जो साथ-साथ बोला जाता है वहीं से गड़बड़ हो जाती है। यानि अधिकार भाव कोई एक व्यवस्था है और कर्तव्य भाव कोई दूसरी व्यवस्था है। जी नहीं, हमारे कर्तव्यों में ही सबके अधिकार समाहित है। अगर मैं टीचर के नाते कर्तव्य निभाता हूं तो विद्यार्थी के अधिकार की रक्षा होती है कि नहीं होती है? तो फिर अधिकार और कर्तव्य का झगड़ा नहीं रहता है।

महात्मा गांधी बहुत आग्रह पूर्वक कहते थे कि मूलभूत अधिकार नहीं होते है, मूलभूत तो कर्तव्य होते है। और अगर ईमानदारी से हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें तो फिर किसी को अपने अधिकार के लिए कभी भी कुछ मांगना नहीं पड़ेगा क्‍योकि उसके अधिकार उसमे संरक्षित ही होंगे। दूसरा- कभी कभी हम कुछ दायित्व निभाते है जैसे परिवार में माता-पिता अपना दायित्व संभालते है, बच्चा अपना दायित्व संभालता है। अड़ोस-पड़ोस के लोग अपना दायित्व संभालते है लेकिन बात यहां तक सीमित नहीं होती है। इतना बडा विशाल देश एक राष्ट्र के रूप में हमारे कुछ कर्तव्य है जो हमें निभाने चाहिए कि नहीं निभाने चाहिए? अगर देश को आगे ले जाने के लिए कुछ करना है तो करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? अब जैसे 2022, आजादी के 75 साल हो रहे है, अगर आजादी के 75 साल हो रहे हैं और 2047 आजादी के 100 साल होंगे। आपने कभी सोचा है कि 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे तब आप कहां होंगे? आप किसी ना किसी व्यवस्था में लीडरशीप देते होंगे। लीडरशीप मतलब मेंढ़क वाला काम नहीं जीवन के हर क्षेत्र में लीडरशीप होती हैं क्रिकेट का एक कैप्टन भी लीडरशीप देता है।कबड्डी का कैप्टन भी लीडरशीप देता है। कारखानें में 200 मजदूरों के साथ काम करने वाला भी लीडरशीप देता है। तो जीवन के हर क्षेत्र में जब देश आजादी की शताब्दी मनाएगा तो आज मेरे 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी है वे उस समय देश में लीडरशीप की पोजिशन में होंगे। अब आप सोचिए कि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, आप लीडर होंगे, उस समय लीडरशीप के समय आपको टूटी-फूटी व्यवस्था मिल जाए फिर आपको कहे कि लीडरशीप करो तो अच्छा रहेगा क्या? तो हमें मजबूत व्यवस्था चाहिए कि नहीं चाहिए? होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? अब जो भी देश मजबूत बनेगा तो किसके काम आएगा भाई। आज जो 80 और 90 साल वाला है उसके काम आएगा का क्या?देश के अगर पर्यावरण की रक्षा होती है तो किसके काम आएगा? देश के अंदर संसाधनों का सदुपयोग होता है तो देश के काम आएगा। देश की इकॉनमी आगे बढ़ती है तो किसके काम आएगा?

इसका मतलब यह हुआ कि मानो 2022 आजादी के 75 साल है, इस देश के लिए कई लोगों ने जान की बाजी लगा दी थी। फांसी के तख्ते पर चढ़ गए थे।अडंमान निकोबार के जेलों में जिंदगी गुजार दी थी, किसलिए, देश आजाद बने।आजाद मतलब झंडा बदले, इतना थोड़ा है। हम आत्मनिर्भर बने, आत्मगौरव बढ़े, हम आत्म सम्मान से जिएं। मैं इसके लिए कौन सा कर्तव्य निभा सकूं जो इस भाव को मजबूत करता है? उन कर्तव्यों का मुझे पालन करना चाहिए। जैसे क्या मैं तय कर सकता हूं कि 2022आजादी के 75साल होते है, मैं और मेरे परिवार में हमें जो भी कुछ खरीदना होगा हम लोकल खरीदेंगे, मेक इन इंडिया चीज ही लेंगे अगर हमारे देश में उपलब्ध ही नहीं है तो ठीक है, बाहर से लाएंगे। मुझे बताइए कर्तव्य हुआ कि नहीं हुआ, देश का भला होगा या नहीं होगा, देश की इकॉनोमी को ताकत मिलेगी कि नहीं मिलेगी? लेकिन अगर हम रेडीमेड चीजे लाएंगे, crackerभी बाहर से लाकर धमाका करेंगे तो क्या होगा?

तो हमारे अपने, आपने देखा होगा कि कुछ लोग बहुत ही जागरूक होते है, स्वच्छता के विषय में बहुत ही conscious होते है। इसलिए सुबह जल्दी उठ जाते है, पूरे घर की सफाई कर देते हैं। सफाई करने के बाद क्‍या करते हैं, बाहर निकल कर देखते है कि पड़ोसी वाला सोया है कि जागा है और धीरे से वो कूड़ा वहां छोड़ देते है। अब उन्होनें अपना कर्तव्य तो पूरा किया लेकिन सचमुच में देश हित के लिए कर्तव्‍य किया क्या, नहीं किया। फिर वो सुबह जब उठेंगे तो वो देखेंगे कि अच्‍छा ये जल्दी सुबह उठकर डाल गए है वो उठाकर के यहां डाल गए हैं, वो उठा करके यहां डाल देंगे। स्वच्छता होगी नहीं, कूड़ा-कचरा इधर से उधर होता रहेगा क्यों एक राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए मेरी जिम्मेदारी है उसको निभा नहीं रहा हूं। बहुत छोटी-छोटी चीजे होती हैं मैं घर में अगर बिजली फालतू में नहीं जलने देता हूं, पानी को नहीं जाने देता हूं, मैं बिना टिकट कभी ट्रेन मेंसफर करने वाले को स्वीकार नहीं करता हूं।बहुत सी चीजें हैं, जो जीवन में एक-एक हिन्‍दुस्‍तानी करे तो देश बहुत तेजी से बदल सकता है। और इसलिए एक नागरिक, ये बात सही है कि इन दिनों सिलेबस ऐसे बदल गए हैं और इतना सिलेबस बढ़-चढ़कर हो गया है कि शायद जो, हम लोग जब पढ़ते थे तब नागरिक शास्‍त्र पढ़़ाया जाता था, शायद अब वो धीरे-धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। लेकिन हम सबका कर्तव्‍य है कि एक नागरिक के नाते अपने कर्तव्‍यों को प्राथमिकता दें; अपने लिए भी उपयोगी होगा, समाज जीवन के लिए भी उपयोगी होगा और उसके लिए हमारे प्रयास साथ-साथ हैं।और आपने देखा होगा नई पीढ़ी airportमें देखोगे queueखड़ी है तो नई पीढ़ी queue तोड़ती नहीं है, और एकाध व्‍यक्ति अगर queue तोड़ता है तो सारे लोग गुस्‍सा करते हैं, क्‍योंकि वो अपने disciplineका कर्तव्‍य निभाता है। यही समाज जीवन में अगर स्‍वभाव बन जाता है तो देश का बहुत भला होगा।

प्रस्‍तुतकर्ता–Thank You Prime Minister Sir, for your guidance.माननीय, आंध्रप्रदेश के जवाहर नवोदय विद्यालय की कक्षा 10वीं के Chavedआपसे एक प्रश्‍न पूछना चाहती हैं। Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता– नमस्‍कार सर, My name is Chaved Power. I am the student of class 10th JNV Yetapaka. My question is how can we overcome the pressure that comes from both, teachers and parents at the time of examinations.

प्रस्‍तुतकर्ता –धन्‍यवाद।हमारे बीच हैं जम्‍मू-कश्‍मीर के गर्वनमेंट गर्ल्‍स हायर सीनियर सेकेंडरी स्‍कूल की कक्षा 11वीं की छात्रा करिश्‍मा, जो माननीय प्रधानमंत्री महोदय से एक प्रश्‍न पूछना चाहती हैं। करिश्‍मा अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता – आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं करिश्‍मा नैना, कक्षा 11वीं की छात्रा, जम्‍मू-कश्‍मीर के गर्ल्‍स नवां बाग स्‍कूल से हूं। मेरा अगले वर्ष बोर्ड एग्‍जाम है। मेरा प्रश्‍न ये है कि मेरे parents की कुछ ऐसी उम्‍मीदें हैं मुझसे कि अच्‍छे मार्क्‍स लाऊं और अपनी सफलता पाऊं। तो मेरा सवाल ये है कि मैं ये कैसे कर सकती हूं और में अपने parents की expectationsको पूरा कैसे कर सकती हूं? और इससे जो stress होता है, उससे कैसे बाहर आ सकती हूं? धन्‍यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता–Thank Youकरिश्‍मा। इसी से मिलता-जुलता एक और question.छत्‍तीसगढ़ से डीएवी मुख्‍यमंत्री पब्लिक स्‍कूल, भगवानपुर की कक्षा 12वीं की छात्रा मोनिका बैगा उत्‍सुक हैं प्रधानमंत्री जी के समक्ष अपनी बात रखने को।Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता- मेरा नाम मोनिका बेगा है। मैं डीएवी मुख्‍यमंत्री पब्लिक स्‍कूल, जनकपुर, जिला कोरिया छत्‍तीसगढ़ में कक्षा 12वीं की छात्रा हूं। माननीय प्रधानमंत्री जी, अभिभावक परीक्षा के समय बच्‍चों से किस तरह बर्ताव करें ताकि परीक्षा के दबाव और चिंता से बच्‍चे दूर रहें? धन्‍यववाद।

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद मोनिका। महोदय, निवेदन है कि जम्‍मू की करिश्‍मा, आन्‍ध्र के Chaved, छत्‍तीसगढ़ की मोनिका के परीक्षा के तनाव से संबंधित समस्‍या का समाधान करें।

पीएम – ये सवाल आप लोगों के लिए है या आपके मां-बाप के लिए है? आपको लगता है कि जो बात आप अपने मम्‍मी-पापा को नहीं कह पा रहे हैं, वो आज मोदीजी सुना दें। मैं जरूर चाहूंगा कि मैं जो बात बताता हूं किसी भी parentsको,guardians को, मैं कोई प्रेशर करना नहीं चाहता हूं, मैं कोई दबाव डालना नहीं चाहता हूं और न ही मैं उनके बच्‍चों को बिगाड़ना चाहता हूं कि वो अपने parents के खिलाफ बगावत करने की आदत बना लें, ऐसा भी नहीं चाहता हूं।

ये बात सही है कि हमने देखा होगा वो स्‍टील का अगर स्प्रिंग होता है, अगर स्प्रिंग एक सीमा तक खींचते रहोगे तो उसका उपयोग है, लेकिन बहुत ज्‍यादा खींच दिया तो क्‍या होगा, तार बन जाएगा। फिर वो स्प्रिंग का काम करेगा क्‍या? मां-बाप को भी ये सोचना चाहिए, टीचर्स को भी सोचना चाहिए, उनको अंदाज होना चाहिए कि जिस स्‍टूडेंट के साथ या जिस बच्‍चे के साथ हम व्‍यवहार कर रहे हैं उसकी capabilityकितनी है। ये मां-बाप को, टीचर को अंदाज होना चाहिए और उसको प्रोत्‍साहित करना चाहिए। और इसलिए मेरी मां-बाप को यही सलाह है कि आप कितनी भी बड़ी आयु के क्‍यों न हुए हों, आपके बच्‍चे कितने ही बड़े क्‍यों न हुए हों, आपहरपल खुद के लिए, बच्‍चों के लिए नहीं, खुद के लिए मन में भाव कीजिए कि आप, जब आपके बच्‍चे दो साल के थे, तीन साल के थे, चार साल के थे, तब माता-पिता के रूप में आप उनसे कैसे व्‍यवहार करते थे। आप चाहते थे कि बच्‍चा चले, तो क्‍या करते थे- दूर खड़े रह करके उसको आओ, आओ, आओ, ऐसे करते थे ना। चलो दौड़ो, देखो, देखो, ये- करते थे कि नहीं करते थे? वो बच्‍चा दौड़ता था कि नहीं दौड़ता था? कोई दबाव डालते थे क्‍या? ऐसे पकड़कर के चल, ऐसा करते थे क्‍या? नहीं करते थे, आप उसको प्‍यार से प्रेरित करते थे, उत्‍साहित करते थे, उसकी अंदर की ताकत को जगाना। अच्‍छा मान लो, चलते-चलते गिर जाता था तो क्‍या करते थे, चांटा मारते थे क्‍या? आधे घंटे से मैं कर रही हूं और तुम चलते भी नहीं हो, फिर गिर गए, कितनी बार खड़ा करूं, ऐसा करती है कोई मां; नहीं करती है। अरे वाह! शाबास!ताली बजाती है, बच्‍चा गिर जाए और मां ताली बजा रही है। कोई बहुत बड़ा बुद्धिमान व्‍यक्ति हो तो वो कहेगा, देखो कैसी मां है, बच्‍चा गिर गया और ताली बजा रही है। लेकिन उस मां को मालूम है कि अभी चलते-चलते गिरा है, मुझे उसको उत्‍साहित करना है।मैं मां-बाप को यही कहूंगा कि आप, बच्‍चे बड़े हो गए ये स्‍वीकारिए, ऐसा नहीं कि वो अब भी दो-तीन साल का है। बच्‍चा बड़ा है वो स्‍वीकार कीजिए, लेकिन खुद को आप जब वो तीन साल के, चार साल के बच्‍चे थे, तब जो आपकी psyche थी मदद करने की, उसको जीवनभर जिंदा रखिए, उसको कभी मरने मत दीजिए। जिस परिवार में मां-बाप की ये सोच होती है कि मैं मेरे बच्‍चों में उनको जहां जाना है, जैसे जाना है, रास्‍ता अगर सही है तो मैं हमेशा प्रोत्‍साहित करने के लिए प्रयास करूंगा।Pursueकरना चाहिए, pressureनहीं करना चाहिए। अब Pursueऔर pressure के बीच में बहुत ही narrow line है। ये बैलेंस कैसे बनाना और इसके लिए मैं बच्‍चों से भी आग्रह करूंगा और मां-बाप से आग्रह करूंगा कि वो कभी जिनके साथ बच्‍चे comfortहैं, उनको कभी कहिए कि वो समय निकालकर आएं, दादा-दादी हो, नाना-नानी हों, चाचा-चाची हों, कोई एकाध टीचर हो; उनको कहिए जरा घर पर आइए चाय पीने के लिए। और धीरे से बच्‍चे को उसके साथ छोड़ दीजिए और आप दूसरे कमरे में चले जाइए और उस guardianको बताकर रखिए कि वो उससे बातें करें, खुल करके बातें करें, वो उसमें से खोजें और फिर वो उसके मां-बाप को बता दें अकेले में कि मैंने आज उससे आधा घंटा बात की, ये उसके मन में चल रहा है, आप लोगों को उसको address करना चाहिए। अगर ये थोड़ा mechanism बन जाए; पहले ये mechanism था क्‍योंकि joint families थीं घर में और भारत का बच्‍चा super politicianहोता है। उसको अगर सिनेमा देखने के लिए जाना है, उसको मालूम है पापा मना करेंगे तो दादी के पास जाएगा। उसको मालूम है कि नए कपड़े लाने हैं, मां मना करेगी तो पापा के पास जाएगा। उसको बराबर मालूम रहता है घर में किससे क्‍या करना है। ये क्षमता उसके अंदर आ जाती है। उस बालक को परिवार में भी इसी रूप में किया, इसका मतलब ये नहीं कि उसको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्‍साहित न करें1 नहीं भाई मोदीजी न कहा था ज्‍यादा interfereमत करो, ऐसा नहीं है। आप उसको जानो, जान करके उसको जताओ कि देख तेरे अंदर ये ताकत पड़ी है, तेरे में ये विशेषता है। तुम इसको क्‍यों उपयोग नहीं करते हो, देखो कोशिश करो। जितना ज्‍यादा प्रोत्‍साहित करोगे, उतना परिणाम ज्‍यादा मिलेगा; जितना प्रेशर करोगे उतना समस्‍या को बल मिलेगा। अब मां-बाप को तय करना है, टीचर को तय करना है कि हमें समस्‍या को बल देना है कि प्रोत्‍साहित करके उसको ही शक्ति में परिवर्तित करना है। मैं रास्‍ता चुनूंगा- प्रोत्‍साहित करना, हर बालक की शक्ति को उजागर करना, उसको प्रोत्‍साहित करना, इसी को मैं बल दूंगा।

प्रस्‍तुतकर्ता –Thank You Honorable Prime Minister Sir, for being a friend and mentor. We hope our parents are watching this program. प्रेरणा मनवर,class XII student, comes from a city well known for UNESCO heritage caves. She studies in जवाहर नवोदय विद्यालय कन्‍नड़, ओरंगाबाद and joins us with her question. Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता- Good Morning Sir. My name is प्रेरणा मनवर। I am a student of class XII science from जवाहर नवोदय विद्यालय कन्‍नड़, ओरंगाबाद, महाराष्‍ट्र। Sir, my question to you is, my parents always say that I should wake up early in the morning for study but I am a nightowl. I can’t wake up early in the morning. Sir, what should I do? Thank You Sir.

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद प्रेरणा। इससे मिलता-जुलता एक सवाल और भी है। माननीय प्रधानमंत्री जी, केंद्रशसित प्रदेश लद्दाख के गर्वनमेंट हायर सेकेंडरी स्‍कूल के 12वीं के छात्र Stanzin सभागार में उपस्थित हैं तथा मान्‍यवर से एक प्रश्‍न पूछना चाहते हैं। Stanzin अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता–Good afternoon Sir, My name is Stanzin. I and studying in XIIclass and my school name is गर्वनमेंट हायर सेकेंडरीस्‍कूल and I am from Leh-Laddakh. Sir, my question is in your opinion what is the best time to study? Is it early morning or late night? Can you suggest us?

प्रस्‍तुतकर्ता–धन्‍यवाद Stanzin। ऐसा ही एक और प्रश्‍न। अगले प्रश्‍न हेतु मैं जवाहर नवोदय विद्यालय, त्रिपुरा के छात्र Shubhashish Chakma को बुला रही हूं। Shubhashish कृपया अपना प्रश्‍न पूछें।

प्रश्‍नकर्ता – Honorable Prime Minister Sir, good afternoon. This is Shubhashish Chakma of class XI studying at Jawahar Navodaya Vidyalaya under Shillong reign. Sir, actually my elder sister use to scold me always because I often go for late night study and cannot wake up early in the morning. Sir, my question is am I doing something wrong? Please, tell me Sir, What do you say? Thank You.

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद Shubhashish। मान्‍यवर- Prerna, Stanzinव Shubhashish - पढ़ने का सर्वोत्‍तम समय कौन सा है, आपसे जानना चाहते हैं।

पीएम – कितना निर्दोष सवाल मुझे पूछा गया है। इस सवाल से मेरे मन में एक और विचार आया। विचार ये आया- इस सवाल का मतलब है कि परीक्षा पर चर्चा, ये कार्यक्रम सफल है। और इससे ये भी पता चलता है कि हमारे शिक्षकों के लिए, शिक्षा जगत के लोगों के लिए कि हमारी युवा पीढ़ी को नजदीक में ऐसे सवालों के जवाब के लिए कुछ कमी महसूस हो रही है, कोई vacuumमहसूस हो रहा है।मैं चाहूंगा सभी अभिभावकों से, सभी टीचर्स से कि आपके छात्रों के बीच आपका ऐसा नाता रहना चाहिए कि ऐसी छोटी-छोटी समस्‍याएं भी वो आपको खुल करके कहें। जितना ज्‍यादा उनके अंदर खुलापन आएगा, उतना उनके स्‍वस्‍थ विकास में बहुत काम आएगा। तो मैं इन सारे नौजवान साथियों का आभारी हूं कि उन्‍होंने मुझे ऐसा महत्‍वपूर्णसवाल, फिर भी कुछ लोग उनको कहेंगे, यार तुझको मौका मिला, तूने यही सवाल पूछ लिया क्‍या। लेकिन मैं इसको बड़ा महत्‍व देता हूं और मुझे संतोष है कि इन बच्‍चों ने मुझको अपना माना और जो बात अपनी मां से, अपने पिता से पूछ सकते हैं, बड़ी बहन से पूछ सकते हैं, वो आज उन्‍होंने मुझे पूछी। इस अपनेपन का आनंद कुछ और ही होता है, जो आज मैं अनुभव कर रहा हूं। अब इसका जवाब देना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है। इसलिए मुश्किल है कि रात को जागना कि सुबह जागना, ये issue है। अब मैं 50 पर्सेंट तो अधिकारी हूं बोलने के लिए, लेकिन 50 पर्सेंट नहीं हूं। 50 पर्सेंट इसलिए अधिकारी हूं क्‍योंकि मैं सुबह बहुत जल्‍दी उठता हूं, इसलिए मुझे बोलने का हक बनता है, लेकिन 50 पर्सेंट इसलिए नहीं हूं कि अब मेरी ड्यूटी ऐसी बन गई है कि रात को जल्‍दी सो नहीं पाता हूं और इसलिए जो आदर्श व्‍यवस्‍था है उसका आधा तो परिपालन मैं करता हूं, लेकिन आधा मैं नहीं करता हूं। और जब मैं खुद नहीं करता हूं तो मैं कोई Moral authority के रूप में आपको नहीं बता सकता हूं। लेकिन आप भी जानते हैं कि दिनभर का काम, थकावट, अलग-अलग मन के अंदर कुछ घटनाएं, पूरा दिन बीतता है, ये चीजें धीरे-धीरे जुड़ जाती हैं। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि आपका mind कितनाengageहोगा शाम के समय। और रात को अगर आप पढ़ने के आग्रही हैं तो सोचिए क्‍या सचमुच में आपका बिल्‍कुल मन एकदम खाली होगा क्‍या, नहीं होगा।Pre-occupied बहुत सी चीजें होंगी, बहुत सी चीजें भरी पड़ी होंगी। और दिनभर की घटनाएं होगी तो उसका एक्‍शन-रिएक्‍शन भी मन में चलता होगा। और इसलिए संभव है कि रात को आप उतना फोकस न कर पाते हों। संभव है। लेकिन ये सत्‍य है कि गहरी नींद के बाद और मैं ये तो नहीं कहूंगा कि तीन बजे उठ करके पढ़ो, वरना फिर आप मां को उठाओगे, मां तीन बजे उठना है, चाय पिला दो। लेकिन एक reasonably सुबह सूर्योदय के पहले अगर तैयार हो करके पढ़ना शुरू करते हैं तो पूरी तरह आप मन से बिल्‍कुल एकदम तंदुरुस्‍त होते हैं। जैसे बारिश के बाद आसमान एकदम कैसा साफ नजर आता है, वैसा मन भी होता है। अब आप सोचिए कि उस समय जो आप पढ़ेंगे वो ज्‍यादा register होगा कि नहीं होगा? और इसलिए हमारे यहां अनुभव से ऐसा माना गया है और दुनिया में भी शायद माना गया है, मेरे पास कोई Scientific analysis तो नहीं है, लेकिन जो माना गया है और जिसमें मेरा भी विश्‍वास है कि सुबह बहुत ही उत्‍तम कालखंड होता है, फ्रेश होते हैं, थकान नहीं होती है और अध्‍ययन से ही शुरू करते हैं तो ज्‍यादा अच्‍छा रहता है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि ज्‍यादातर विद्यार्थियों का problem ये है। जरूरी नहीं है कि आपको रात को पढ़ना है या सुबह पढ़ना है। हरेक की अपनी विशेषता होती है, अपनी आदतें होती हैं और आप जिसमें comfortहो वो ही करो। सिद्धांत है कि सुबह ठीक रहता है, लेकिन फिर भी वो आप comfort नहीं हो तो फिर काहे को परेशान हो भाई; रात को पढ़ लो। वरना फिर क्‍या होगा कि रिजल्‍ट जब आएगा तब आप दीदी को बताओगे कि तेरे कारण रिजल्‍ट अच्‍छा नहीं आया। क्‍यों, क्‍योंकि तू मुझे रात तक पढ़ने नहीं देती थी, सुबह पढ़ने के लिए कह रही थी। तो ऐसा नहीं होना चाहिएroblem कि ज्‍यादातर विद्यार्थी। लेकिन दूसरी बात है- ज्‍यादातर विद्यार्थियों के जीवन में क्‍या होता है, हो सकता है आपके जीवन में न होता हो। लेकिन मैं जब पढ़ता था तब हम सभी साथियों के अंदर होता था। आपका होता है तो, नहीं होता है तो मैं कोई judgement नहीं देसकता हूं। वो क्‍या, जब स्‍कूल शुरू होता था, रिजल्‍ट जब आता था तो मन में तय करते थे कि अगली बार स्‍कूल शुरू होते ही पढ़ाई शुरू करनी है। उसके बाद, बस अगले महीने शुरू करूंगा, बस अब फर्स्‍ट टेस्‍ट हो जाने के बाद करूंगा। दूसरा क्‍या करते हैं- नहीं आज तो रात को ही पढ़ना है। मम्‍मी, खाना बहुत हैवी मत बनाना। नींद आ जाए- ऐसा खाना मत बनाना, बस पास्‍ता वगैरह चल जाएगा। मां को भी लगता है चलो इसको पढ़ना है रात को तो जो चाहता है पिज्‍जा चाहिए तो पिज्‍जा, पास्‍ता चाहित तो पास्‍ता, पानी-पूरी चाहिए तो पानी-पूरी, गोल गप्‍पे चाहिए तो गोल गप्‍पे, बच्‍चे को पढ़ाना है ना, मां बना देती है। फिर मन करता है- मां आज मजा नहीं आ रहा है। ऐसा करो मां, सुबह छह बजे उठा देना। मां बेचारी पांच बजे उठकर तैयारी करती है कि संतान अपनी सुबह उठकर पढ़ना चाहती है तो वो- उसको क्‍या चाहिए, चाय चाहिए, कॉफी चाहिए, दूध चाहिए; सब तैयारी करती है और फिर हम छह बजे, ना मां, रात को नींद नहीं आई थी तो फिर अब तो आज नहीं, आज रात को पढ़ूंगा। यही होता है ना? कभी मां को रात को जगा देना, कभी मां को सुबह जगा देना और कभी परिवार को ही। और हम अपना टाइम टेबल बदलते जाते हैं। देखिए, मैं समझता हूं ये अपने साथ अन्‍याय होता है। मुसीबत रात को पढ़ें या सुबह पढ़े, उससे ज्‍यादा मुसीबत ये है कि हम पढ़ने के बहानों के बजाय न पढ़ने के बहाने खोजते रहते हैं और वो बोझ पूरा परिवार पर डाल देते हैं। अगर हम उन चीजों को अपने पर लेगें और उसमें से आदत बदलेंगे तो जरूर लाभ होगा। मेरा स्‍वयं का अनुभव है, आपने कभी सूर्योदय के समय पक्षियों की आवाज, birds की आवाज और सूर्यास्‍त के समय birds की आवाज, गौर से सुना है किसी ने? कितनों ने सुना है? गौर से- दोनों में अंतर होता है। सूर्योदय के समय birds की आवाज अलग होती है, उसका सुर भी अलग होता है, स्‍वर भी अलग होता है और सूर्यास्‍त के समय भी आवाज करते हैं। दोनों में फर्क होता है। इसका मतलब ये हुआ कि प्रकृति का कोई न कोई प्रभाव तो होता ही है। अगर हम इस प्रकृ‍ति के साथ तालमेल बना करके जीवन को जिएंगे तो प्रकृति के साथ संघर्ष टालना चाहिए। प्रकृति स्‍वयं आपको मदद करेगी, आपको आगे ले जाने में मदद करेगी। और इसलिए समय की पसंद, परिस्थिति की पसंद में जहां पर environmentका सवाल है, प्रकृति का सवाल है, हमने प्रकृति के अनुकूल समय खोजना चाहिए। Thank you.

प्रस्‍तुतकर्ता -Thank you Prime Minister Sir for your enlightenment, Honourable Prime Minister Sir Shaikha khan from Indian School Dar-es Salaam joins us from Tanzania to ask her Question, could we have a question please.

प्रश्‍नकर्ता–Good morning Sir, I m Shaikha khan from Indian School Dar es Salaam, Tanzania. At times we go blank after receiving a question paper how do we overcome such a situation, thank you Sir.

प्रस्‍तुतकर्ता- मान्‍यवर, शोभित रस्‍तोगी, केन्‍द्रीय विद्यालय सेक्‍टर-4, आर.के. पुरम, नई दिल्‍ली के कक्षा 12वीं के छात्र हैं। आपसे कुछ पूछना चाहते हैं। शोभित अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता- सुप्रभात मान्‍यवर। मैं शोभित रस्‍तोगी, केन्‍द्रीय विद्यालय सेक्‍टर-4, आर के पुरम, नई दिल्‍ली के कक्षा 12वीं का छात्र हूं। मैं उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले से हूं। मेरा प्रश्‍न ये है कि जब हम परीक्षा के लिए परीक्षा हॉल में जाते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि हम अपने प्रश्‍नों के उत्‍तर भूलने लगते हैं। इसके कारण मैं काफी तनाव में होता हूं। इस चीज के लिए आप मेरी मदद करें।

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद शोभित। मान्‍यवर शायखा और शोभित, परीक्षा के समय सब कुछ भूल जाने की समस्‍या से त्रस्‍त हैं। हमारी भी कुछ ऐसी ही दशा होती है। कृपा मार्गदर्शन करें।

पीएम- आपने सही पूछा है। ज्‍यादातर विद्यार्थियों के लिए ये पल आता ही आता है। जब बैठते हैं और जब question paper देखते हैं तो थोड़ा समय तो ऐसा जाता ही जाता है। लेकिन मैं थोड़ा मजाकिया स्‍वर में कुछ बात बताना चाहता हूं। आपने देखा होगा कि आपका बड़ा भाई या आपके पिताजी घर में स्‍कूटर है, और स्‍कूटर ले करके कहीं जाना है और सुबह उठ करके वो किक मार रहे हैं, लेकिन स्‍कूटर स्टार्ट नहीं होता है, ऐसा दृश्‍य देखा होगा आपने। देखा होगा, कि सब गाड़ी वाले हैं? देखिए, आपने तब देखा होगा एक बड़ी कहावत है वो परेंट्स या भाई, जो भी है, क्‍या करेगा- स्‍कूटर को इधर करेगा, उधर करेगा, करता है कि नहीं करता है? स्‍कूटर को हिलाता है। अब दुनिया में कोई टेक्‍नोलॉजी है क्‍या कि हिलाने से ही शुरू होता है स्‍कूटर। नहीं है, लेकिन उसको लगता है कि जरा ऐसा करूंगा तो...वो खुद को तैयार करता है। और फिर किक लगाता है, स्‍कूटर चल भी पड़ता है। ये, एक दो मिनट जो ये करता है, वो क्‍या है, scientific है क्‍या, नहीं है, लेकिन करीब-करीब सब लोग करते हैं। जिन्‍होंने भी स्‍कूटर चलाया है, वो पक्‍का ये करते हैं, अगर नहीं चलता है तो स्‍कूटर का हिला देते हैं। साइंस नहीं है, टेक्‍नोलॉजी नहीं है, लेकिन करते हैं और काम हो भी जाता है। आपने देखा होगा, आजकल तो टीवी पर गेम्‍स के काफी कुछ कार्यक्रम रहते हैं तो बच्‍चे देखते भी हैं और अच्‍छी भी चीज है। लेकिन आपने देखा होगा टेनिस का खिलाड़ी होगा, कितना भी यानी ओलंपिक प्‍लेयर होगा, वो भी जब टेनिस के टेबल के पास आता है तो क्‍या करता है? सामने बॉल नहीं है, लेकिन फिर भी यूं-यूं करता रहता है। करता है कि नहीं करता है? एक-दो मिनट करता है वो बाद में सामने वाला भी ऐसे ही करता है। बॉल नहीं है, लेकिन दोनों जैसे खेल रहे हैं, ऐसा करते हैं वो। उसी प्रकार से आपने किक्रेट में देखा होगा- कितना ही successful बेट्समेन है, वो भी जब पेवेलियन से ले करके pitch पर जाता है तो वहीं पर अपना बैट हिलाएगा, यूं करेगा जैसे अभी बॉल को मार रहा है, करता है नहीं करता है? वहां बॉल नहीं है, खेल नहीं है। जब वहां पहुंचता है तो वहां भी वो बैट को एडजस्ट करता है, थोड़ा ऐसे ट्राई लेता है। बॉल तो अभी आया नहीं, मैच शुरू नहीं हुआ है, लेकिन वो करता है। क्‍यों, उसको comfort zone मिल जाता है। बॉलर भी आपने देखा होगा- हाथ में बॉल नहीं है फिर भी वो ऐसे ही बॉलिंग कर रहा है, ऐसे ही दौड़ता है, बॉल फेंकता है-बॉल है नहीं, कर रहा है। दो-तीन-पांच बार आपको हर गेम में दिखता होगा, ये क्‍या है? खुद को एक comfort zone में लाने का हरेक का ढूंढा हुआ अपना एक तरीका है। आपने भी question paper आने के बाद बस पिताजी के स्‍कूटर को याद कर लीजिए बस। आप भी- अच्‍छा-अच्‍छा इतना है, ऐसा है, ठीक है, पैन ठीक है, थोड़ा ऐसे ही, दो-एकाध मिनट ऐसे ही निकाल दीजिए। बड़े तनाव में बड़ा सिंपल सा solution है। अगर ये कर लिया, दूसरी बात है कि आप बोझ ले करके अगर examination hall में गए हैं तो सारे प्रयोग बेकार जाते हैं। आपने विश्‍वास ले करके जाना है, जितना आप में विश्‍वास भरा हुआ होगा आप बहुत सहज रहेंगे। और कोई भी स्‍टूडेंट ऐसा नहीं होगा जिसके टीचर ने ये न समझाया हो कि भई दस सवालों के जवाब देने हैं, तुम्‍हारे पास डेढ़ घंटा है, तो ऐसा करो-सबसे सरल है उसको पहले सिलेक्‍ट करो, उसका जवाब दे दो ताकि कम समय में काम-ऐसा ही कहते हैं ना। ऐसा ही सिखाते हैं ना? वन, टू, थ्री, फोर, कोई नहीं कहता है। छठे नंबर का सवाल ठीक लगता है तो पहल छठे का कर लो ताकि बाद में समय बच जाए। मैं भी आपसे कहूंगा कि हम एक बार सरल चीज को हाथ लगाएंगे, तब तक आप एकदम से उसके साथ accustomहो जाते हैं, accustom हो जाते हैं तो आप बड़ी सरलता से चीजों को चलाते हैं। और इसलिए आत्‍मविश्‍वास बहुत बड़ी चीज है, एग्‍जाम को जिंदगी में बोझ कभी बनने मत देना। अगर ये कर लिया तो मैं नहीं मानता हूं कि जो दो मिनट शुरू में जाते हैं, गड़बड़ कर जाती हैं; दूसरा-अगर focussed activity है तो कठिनाई बहुत कम रहती है। कभी-कभी क्‍या होता है, मन भटकने लगता है। फिर लगता है, ये क्‍या कर रहा है, अच्‍छा उसने पहला सवाल उठाया। छोड़ो अगल-बगल में कौन क्‍या करता है। आपको क्‍या करना है, उस पर ध्‍यान केन्द्रित कीजिए। एक मिनट में आपकी गाड़ी चलने लग जाएगी। कोई प्रॉब्‍लम नहीं होगी।

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद महोदय। आपके प्रेरक वचन हम सबके लिए प्रेरणा के सूत्र हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी, वाराणसी के सेंट्रल हिंदू बॉयज स्‍कूल के कक्षा 12वीं विज्ञान के छात्र अभिषेक कुमार गुप्‍ता हमारे बीच हैं और अभिषेक आपसे अपने प्रश्‍न का समाधान चाहते हैं। अभिषेक कुमार गुप्‍ता, अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता – नमस्‍कार, माननीय प्रधानमंत्री जी। मेरा नाम अभिषेक कुमार गुप्‍ता है और मैं कक्षा 12वीं से सेंट्रल हिंदू बॉयज स्‍कूल, वाराणसी का विद्यार्थी हूं। मेरा प्रश्‍न आपसे ये है, सर कि मुझे और मेरे कुछ साथियों को अपनी क्षमताओं के विषय में एवं करियर ऑप्‍शंस को लेकर कुछ स्‍पष्‍ट नहीं है। जब इस बारे में सोचते हैं ना सर, कुछ समझ ही नहीं आता। हम पढ़ाई में तो अच्‍छे हैं सर, पर भविष्‍य की योजनाओं को लेकर अब तक कुछ तय नहीं किया। सर, कृपया हमारा मार्गदर्शन करें। धन्‍यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता– थैंक यू अभिषेक। महोदय, इससे मिलता-जुलता एक और प्रश्‍न है। इसी श्रृंखला में अब हमारे साथ जुड़ रही हैं बिहार से जवाहर नवोदय विद्यालय की कक्षा 11वीं की छात्रा जूली सागर जो माननीय प्रधानमंत्री महोदय से अपना प्रश्‍न पूछने के लिए उत्‍सुक हैं। May we have the video please?

प्रश्‍नकर्ता– नमस्‍कार। मैं जूली सागर, जवाहर नवोदय विद्यालय, बिहार की छात्रा हूं। माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे यह जानना चाहती हूं कि हम छात्रों की छिपी क्षमता का आंकलन कैसे कर सकते हैं? धन्‍यवाद महोदय।

प्रस्‍तुतकर्ता– धन्‍यवाद जूली। महोदय, एक और प्रश्‍न इसी से मिलता-जुलता है। Irin Dominic of class IX from Carmel Public School, Kerala is here with us and seeks your guidance. Irin अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता–Good afternoon Honorable Prime Minister Sir. I am Irin Dominic, studying in class IXth of Carmel Public School and I am from Kerala. My question is we have to choose the right career, so how will we realize our inner potential. Kindly guide us Sir, Thank You.

प्रस्‍तुतकर्ता–Thank You Irin. माननीय महोदय, जूली, अभिषेक और Irin अपनी प्रतिभा व जीवन लक्ष्‍य विषय में मागदर्शन चाहते हैं। कृपया कृतार्थ करें।

पीएम- सवाल बड़ा गंभीर सा है आपका, क्‍योंकि बड़ा मुश्किल होता है खुद को जानना। मुझे एक पुरानी घटना याद है। एक बार एक लांयस क्‍लब के लोगों ने मुझे स्‍पीच के लिए बुलाया था। ये करीब 40 साल पुरानी घटना होगी। और फिर जैसेरहताहै कि आप अपना परिचय भेजिए। तो उस कार्यक्रम में मैं वक्‍ता था और एक chartered accountant थे, वो उस कार्यक्रम के अध्‍यक्ष थे, उनको भी चिट्ठी गई कि आप अपना परिचय भेजिए। तो उन्‍होंने कोई दस पेज का अपना बायोडाटा भेजा था, उन्‍होंने कब काम किया। मुझे आया तो मैंने एक पोस्‍टकार्ड लिखा था कि आपने मेरे विषय में जानने के लिए कहा है, मैं खुद को जानने की कोशिश कर रहा हूं इसलिए अभी कुछ बता नहीं पाऊंगा। और वहां मजा ये हुआ कि उनका परिचय पढ़ने में कोई दस मिनट गया और मेरा परिचय पढ़ने में दस सेकेंड भी नहीं गया। ये बात सही है कि खुद को जानना बहुत कठिन होता है। लेकिन जानने का तरीका क्‍या होता है। जानने का तरीका ये होता है कि अगर हम हमारे comfort zone से बाहर निकलते हैं, protective life में से बाहर आते हैं, और खुद को कहीं न कहीं challenge mode में ले जाते हैं, तब पता चलता है कि ये मैं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा। ये करने की मेरी क्षमता है या नहीं है। दूसरा हम ये सोच सकते हैं कि एक सप्‍ताह भर के अंदर हम देखें। अगर हम थोड़ी डायरी अपनी बना दें कि इस सप्‍ताह में मैंने मेरे मन से कौन से काम किए, फिर देखें कि भई उसमें सबसे ज्‍यादा आनंद आया, वो काम कौन सा था, कम आनंद आया वो काम कौन सा था, अच्‍छा यार, बेकार में मैं क्‍यों ये करने चला गया। आप अगर साल भर अपनी ऐसी डायरी maintain करें तो आपको खुद को पता चलेगा कि मेरा aptitude ये है, मुझे ये अच्‍छा लगता है, इसको मैं ठीक से कर सकता हूं और इसमें आपको किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ती है। थोड़ा अपने आप में, अब जैसे ये आपने देखा होगा कि आज हमारे, मैं डिपार्टमेंट के लोगों को बधाई देता हूं कि उन्‍होंने स्‍कूल के छात्रों को आज इस पूरे प्रोग्राम को संचालन करने का अवसर दिया और बहुत बढ़िया ढंग से कर रहे हैं। अब संभावना है कि आज के बाद उनमें से किसी को विचार आएगा, ये काम मैं कर सकता हूं। टीचर उनके होंगे, उनको भी लगेगा, यार जब भी स्‍कूल में फंक्‍शन होगा, इनको खड़ा करेंगे। मतलब एक अवसर मिला, उसने अपने-आपको तैयार किया, अब उसका आत्‍मविश्‍वास बन जाएगा कि मेरे अंदर ये टेलेंट है। होगा कि नहीं होगा? ये कार्यक्रम से पहले शायद उसने सोचा नहीं होगा कि मैं ये कर सकता हूं। लेकिन आज के बाद जरूर सोचेगा कि मैं ये भी कर सकता हूं। हो सकता है वो इसी को अपना profession बनाना तय करे, तो आप देखेंगे वो पचासों चीजें पढ़ेगा, बड़े साहित्‍य की चीजों के नोट बनाएगा और सोचेगा कि मुझे इस प्रकार के फंक्‍शन में जाना है तो ये बोलना चाहिए, इस प्रकार के फंक्‍शन में जाना है तो ये बोलना चाहिए, ये तैयारी करेगा कि नहीं करेगा? मतलब उसने अपने सामर्थ्‍य को जाना कि नहीं जाना? आपके जीवन में भी ऐसे कई अवसर आते होंगे, जब आपको कभी न कभी मौका मिला होगा। अगर उसमें सफलता का आपको फीलिंग आता है, भई हां, मैंने ठीक किया, तो आपने उसको nurture करना चाहिए, आपने उसको आगे बढ़ाना चाहिए। अगर ये आप करते हैं तो आप सरलता से कर पाएंगे, अपने-आपको जान पाएंगे। दूसरा, करियर का अपना महत्‍व होता ही होता है। हर कोई न साधु बन सकता है न फकीर बन सकता है, हरेक को कुछ न कुछ जिम्‍मेदारियां संभालनी होती हैं और कभी-कभी उत्‍तम तरीके से जिम्‍मेदारियों को संभाल करके भी हम देश की उत्‍तम सेवा कर सकते हैं। और इसलिए जीवन में करियर का महात्‍मय उतना ही महत्‍वपूर्ण है, लेकिन चूंकि वे ये करता है, इसलिए अच्‍छा है; चूंकि वो ऐसा करता है, इसलिए अच्‍छा है; तो चलो मैं भी ये कर लूं, तो- तो फिर निराश होने के अवसर बहुत आते हैं। लेकिन मेरे मन में ताकत है; अब आप देखिए,किसीमां-बाप ने कोई बच्‍चा ये कहे कि मां मुझे खाना पकाना अच्‍छा लगता है- बेटा अगर किचन में चला जाए, मां कैसे पकाती है, शुरू में तो मां को अच्‍छा लगेगा कि चलो मदद कर रहा है। बाद में मां चौंक जाएगी- ये तेरा काम है क्‍या, जाओ पढ़ाई करो। तुमको किचन में एंट्री नहीं मिलेगी। लेकिन उसको मालूम है कि मेरे अंदर येविधा है और मानो ये बड़ी मेहनत करके बहुत बड़ा शेफ बन जाए, तो वो ही मां कहेगी छोटा था ना, मैंने तैयार किया था।

कोई काम बुरा नहीं होता है जी। ये बात सही है उस बालखंड के अपने साथियोंकोलगेगा, क्‍या यार, दो-दो घंटे किचन में पड़ा रहता है, लेकिन हो सकता है ये छोटी सी रुचि भी उसके जीवन को बदलाव दे सकती है। और हो सकता है उसमें जो social responsibility का भाव हो तो एक अच्‍छा शेफ होगा, और फिर तयकरेगाकि मैं बच्‍चों के न्‍यूट्रेशन पर ही काम करूंगा, बच्‍चों को क्‍या खाना चाहिए, कैसे पकाना चाहिए; बताइए वो कितना बड़ा सोशल सर्विसकर्ता हो जाएगा। एकहीव्यक्तिकैसेकैसेराह से गुजर करके जिंदगी को जी सकता है।

दूसरा- और एग्‍जाम देने होते हैं, हिम्‍मत के साथ देने चाहिए। एग्‍जाम का प्रेशर नहीं होना चाहिए, डरना ही नहीं चाहिए, खुद को कसते रहना चाहिए। जिंदगी में अगर एकाध entrance test में रह गए तो क्‍या हुआ, लाखों लोग देते हैं, कुछ लोग रह जाएंगे। इतनी बड़ी टेंशन रखने की जरूरत नहीं है। हमने डर के कारण पैर न रखे, इससे बुरी कोई अवस्‍था नहीं हो सकती। हमारी मन:स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि हम किसी भी हालत में डगर आगे बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे। एक बार विफल होंगे तो उसमें से सीखेंगे, दूसरी बार करेंगे। ये मिजाज तो विद्यार्थी के जीवन में होना चाहिए। और विद्यार्थी विद्यार्थीकाल काहीविषय नहीं है। 24 साल तक हो गया, 25 साल तक हो गया, विद्यार्थी; ऐसा नहीं है, जीवनभर भीतर के विद्यार्थी को जीवित रखना चाहिए। कभी भी, 80 साल की उम्र में भी विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देना चाहिए। जिंदगी जीने का यही उत्‍तम मार्ग है। नया-नया सीखना, नया-नया जानना, नया-नया पहचानना।

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद, माननीय प्रधानमंत्री जी आपके मार्गदर्शन के लिए। खनिज संसाधनों से समृद्ध राज्‍य, मनोरम पर्यटन स्‍थल, झारखंड से कक्षा 12वीं की निशा अग्रवाल अपना प्रश्‍न माननीय प्रधानमंत्री जी पूछना चाहती हैं। Could we have the question please?

प्रश्‍नकर्ता – मैं निशा अग्रवाल, कक्षा 12वीं, स्‍मृति विद्या मंदिर, घाटशिला झारखंड की छात्रा हूं। मेरा माननीय प्रधानमंत्री जी से यह सवाल है कि बोर्ड exams आ रहे हैं, साथ ही साथ मैं यूपीएसई, जेईई और पीऍमटीजैसे exams के बारे में भी सोचती हूं। लेकिन इन exams में कभी-कभी सफलता नहीं भी मिलती है। कृपया इस बारे में हमारा मार्गदर्शन करें। धन्‍यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद निशा। मान्‍यवर आपका कोटि-कोटि आभार कि आपने हमारे मन के अनेकानेक प्रश्‍नों एवं हमारी जिज्ञासा का समाधान किया। आप जैसे दूरदृष्‍टा प्रधानमंत्री को सुनकर जी ही नहीं भरता। फिर भी आपके अमूल्‍य समय को ध्‍यान में रखते हुए परीक्षा पर चर्चा-2020 के अंतिम प्रश्‍न हेतु मैं आमंत्रित करता हूं पांच नदियों का प्रदेश, गुरुओं की भूमि पंजाब के जीजीएससी मलूका बठिंडा से हरदीप कौर, कक्षा 12वीं की छात्रा को, जो माननीय प्रधानमंत्री जी से अपने प्रश्‍न का समाधान चाहती हैं। हरदीप अपना प्रश्‍न पूछिए।

प्रश्‍नकर्ता – सत् श्री अकाल सर। मैं हरदीप कौर गर्वनमेंट सीनियर सेकेंडरी स्‍कूल, मलूका, 12वीं कक्षा की छात्रा, पंजाब से हूं। सर, मैं बोर्ड के एग्‍जाम में तो अच्‍छे अंक ला सकती हूं, लेकिन सर, जब बात कम्‍पीटीशन एग्‍जाम की आती है तो मैं चिंतित हो जाती हूं, घबरा जाती हूं। इस विषय में मैं आपसे सलाह लेना चाहती हूं। धन्‍यवाद।

प्रस्‍तुतकर्ता – धन्‍यवाद हरदीप। महोदय, हरदीप व निशा की जिज्ञासा पर मार्गदर्शन करें।

पीएम – सत् श्री अकाल। मेरा आप सबसे आग्रह है इसलिए नहीं कि वो किताब मैंने लिखी है, लेकिन जिन्‍होंने ये सवाल पूछा है, उनसे मैं जरूर आग्रह करूंगा कि हो सके तो इसी दो दिन में आप परीक्षा पर चर्चा exam warriorsमेरी जो किताब है, actually वो मेरी नहीं है, आप ही लोगों के द्वारा धीरे-धीरे-धीरे पनपती जा रही है वो भी किताब, नए-नए पहलू जुड़ जाते हैं। आप लोग उसको दो बार पढ़िए। आने वाले दो-तीन दिन में दो बार पढ़िए। आपको कोई सवाल नहीं रहेगा कि XIIth तक तो अच्‍छा करने के बावजूद भी आगे के एग्‍जाम का तनाव रहता है। ये तनाव किस चीज का है? ये तनाव एग्‍जाम का नहीं है। जो तनाव आप अनुभव कर रहे हैं, और जिसको आप एग्‍जाम का तनाव कहते हैं, वो एग्‍जाम का तनाव नहीं है। वो तनाव आपके अंदर एक, मन में एक ambition पड़ा हुआ है, एक आकांक्षा पड़ी हुई है कि मुझे ये बनना है। उस बनने के लिए ये एग्‍जाम मेर लिए जीवन-मरण का मुद्दा है। अगर मैं विफल रहा या विफल रही तो आगे के सारे दरवाजे बंद हो जाएंगे। आपको एग्‍जाम की सफलता का टेंशन नहीं है, आपने खुद को एक करियर के साथ जो identify कर दिया है, मुझे ये बनना है, बनने के लिए ये रास्‍ता है, इस रास्‍ते पर मैं नहीं पहुंच पाया तो मैं शायद जीवन में निकम्‍मा हो जाऊंगा, ये टेंशन है। अगर आप exam warriorsकिताब पढ़ेंगे तो उसका बहुत सरल उसमें जवाब है कि आप, और मैं हमेशा, मैं अपने जीवन के लिए हमेशा कहता हूं कि हम कभी भी बनने के सपने न पालें। बनने के सपनों में हर पल निराशा की संभावना रहती है कि हमने ये बनना चाहा, नहीं बन पाए तो जैसे जीवन भी विफल। लेकिन अगर कुछ करने के सपने देखें तो जो भी करेंगे उसे अच्‍छा करने का मन करेगा। और इसलिए जीवन को बनने के सपनों से जोड़ने के बजाय कुछ करने के सपनों से जोड़ना चाहिए। अगर कुछ करने के सपनों से जोड़ोगे, तो आपको कभी भी ये एग्‍जाम का प्रेशर नहीं रहेगा।ये सिर्फ एक खिड़की है, एक दरवाजा है, जो आगे जाने के लिए रास्‍ता खोल रहा है, लेकिन आगे जा करके एक ही रास्‍ता नहीं है, ढेर सारे रास्‍ते हैं, अनेक क्षेत्र हैं। पूरा विश्‍व मेरे सामर्थ्‍य को स्‍वीकार करने के लिए तैयार है, अगर ये मिजाज रहा तो मुझे विश्‍वास है कि आपको इसका तनाव कोई नहीं रहेगा।

मैं फिर एक बार एचआरडी मिनिस्‍ट्री का हृदय से अभिनंदन करता हूं। मैं देशभर के स्‍कूलों का धन्‍यवाद करता हूं, विशेष करके सभी टीचर्स का धन्‍यवाद करता हूं, मैं सभी अभिभावकों का धन्‍यवाद करता हूं कि उन्‍होंने लगातार इस परीक्षा पर चर्चा, इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बहुत बड़ी मदद की है। इसको आगे बढ़ाया है और हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों ने एक सकारात्‍मक भाव से इसको जोड़ा है।

मैं, आप सब भी जब यहां आए हैं, मेरे सामने एक नया भारत है मेरे सामने। हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने से आए हुए बच्‍चे यहां हैं। भारत आजादी की शताब्‍दी मनाएगा, तब नेतृत्‍व आपके हाथ में होगा, ऐसे मेरे सामने लोग हैं। और अगर आज से 30-40 साल के बाद जब आप सफलता को चूमते होंगे और मैं अगर जीवित हूं, और कहीं मिल जाऊंगा, तो मैं बहुत गर्व से कहूंगा कि‍ मुझे बहुत गर्व है कि मैं आज जो इस व्‍यवस्‍था को लीडरशिप दे रहे हैं, इस परिस्थितियों को बदलने के काम कर रहे हैं, इस लैब के अंदर नई-नई चीजें दुनिया को दे रहा है, ये वो लोग हैं जिनको कभी 2020 में, 20 जनवरी को मुझे दर्शन करने का सौभाग्‍य मिला था। मैं गर्व अनुभव करूंगा कि आपके हाथ में जब देश का नेतृत्‍व होगा और मैं गर्व से कहूंगा, हां यार, मैंने बहुत पहले इनको कभी देखा था। मेरे जीवन का इससे बड़ा संतोष क्‍या हो सकता है।

इसी संतोष और विश्‍वास के साथ- परीक्षा जिंदगी नहीं है, जिंदगी में परीक्षा एक मुकाम है। उससे अधिक प्रेशर न रखते हुए और जब आज देश के लाखों एजुकेशन इंस्‍टीट्यूशंस, करोड़ों बालक और दुनिया के भी कई बालक इंटरनेट के माध्‍यम से, टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से इस कार्यक्रम में जुड़े हुए हैं, उन सबसे मैं यही कहूंगा कि हम एक पूरे विश्‍वास के साथ आने वाला कल आपका है, आपके पुरुषार्थ और परिश्रम से आने वाला कल हिन्‍दुस्‍तान का है, और उसी विश्‍वास के साथ हम सब आगे बढ़ें, मेरी आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं हैं।

आप में से बहुत से बालक- ज्‍यादातर यही सवाल आपके मन में होंगे, लेकिन बहुत से बालक हैं जिनको शायद घर से निकले होंगे, तब तो टीवी इंटरव्‍यू भी दिया होगा, कि हम पीएम को पूछने के लिए जा रहे हैं, हम ये सवाल पूछेंगे, लेकिन सबको मौका नहीं मिला होगा। मैं इसके लिए आपसे क्षमा मांगता हूं क्‍योंकि समय-सीमा के कारण शायद सबको अवसर नहीं दे पा रहा हूं। लेकिन आपकी भावनाओं को समझता हूं, आपके सवालों को पढ़ता हूं और हर पल आपसे जुड़े रहने का प्रयत्‍न करता रहता हूं, आगे भी करता रहूंगा।

इसी एक भाव के साथ फिर एक बार आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Joint Statement: Official visit of Shri Narendra Modi, Prime Minister of India to Kuwait (December 21-22, 2024)
December 22, 2024

At the invitation of His Highness the Amir of the State of Kuwait, Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah, Prime Minister of India His Excellency Shri Narendra Modi paid an official visit to Kuwait on 21-22 December 2024. This was his first visit to Kuwait. Prime Minister Shri Narendra Modi attended the opening ceremony of the 26th Arabian Gulf Cup in Kuwait on 21 December 2024 as the ‘Guest of Honour’ of His Highness the Amir Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah.

His Highness the Amir of the State of Kuwait Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah and His Highness Sheikh Sabah Al-Khaled Al-Sabah Al-Hamad Al-Mubarak Al-Sabah, Crown Prince of the State of Kuwait received Prime Minister Shri Narendra Modi at Bayan Palace on 22 December 2024 and was accorded a ceremonial welcome. Prime Minister Shri Narendra Modi expressed his deep appreciation to His Highness the Amir of the State of Kuwait Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah for conferring on him the highest award of the State of Kuwait ‘The Order of Mubarak Al Kabeer’. The leaders exchanged views on bilateral, global, regional and multilateral issues of mutual interest.

Given the traditional, close and friendly bilateral relations and desire to deepen cooperation in all fields, the two leaders agreed to elevate the relations between India and Kuwait to a ‘Strategic Partnership’. The leaders stressed that it is in line with the common interests of the two countries and for the mutual benefit of the two peoples. Establishment of a strategic partnership between both countries will further broad-base and deepen our long-standing historical ties.

Prime Minister Shri Narendra Modi held bilateral talks with His Highness Sheikh Ahmad Abdullah Al-Ahmad Al-Jaber Al-Mubarak Al-Sabah, Prime Minister of the State of Kuwait. In light of the newly established strategic partnership, the two sides reaffirmed their commitment to further strengthen bilateral relations through comprehensive and structured cooperation in key areas, including political, trade, investment, defence, security, energy, culture, education, technology and people-to-people ties.

The two sides recalled the centuries-old historical ties rooted in shared history and cultural affinities. They noted with satisfaction the regular interactions at various levels which have helped in generating and sustaining the momentum in the multifaceted bilateral cooperation. Both sides emphasized on sustaining the recent momentum in high-level exchanges through regular bilateral exchanges at Ministerial and senior-official levels.

The two sides welcomed the recent establishment of a Joint Commission on Cooperation (JCC) between India and Kuwait. The JCC will be an institutional mechanism to review and monitor the entire spectrum of the bilateral relations between the two countries and will be headed by the Foreign Ministers of both countries. To further expand our bilateral cooperation across various fields, new Joint Working Groups (JWGs) have been set up in areas of trade, investments, education and skill development, science and technology, security and counter-terrorism, agriculture, and culture, in addition to the existing JWGs on Health, Manpower and Hydrocarbons. Both sides emphasized on convening the meetings of the JCC and the JWGs under it at an early date.

Both sides noted that trade has been an enduring link between the two countries and emphasized on the potential for further growth and diversification in bilateral trade. They also emphasized on the need for promoting exchange of business delegations and strengthening institutional linkages.

Recognizing that the Indian economy is one of the fastest growing emerging major economies and acknowledging Kuwait’s significant investment capacity, both sides discussed various avenues for investments in India. The Kuwaiti side welcomed steps taken by India in making a conducive environment for foreign direct investments and foreign institutional investments, and expressed interest to explore investment opportunities in different sectors, including technology, tourism, healthcare, food-security, logistics and others. They recognized the need for closer and greater engagement between investment authorities in Kuwait with Indian institutions, companies and funds. They encouraged companies of both countries to invest and participate in infrastructure projects. They also directed the concerned authorities of both countries to fast-track and complete the ongoing negotiations on the Bilateral Investment Treaty.

Both sides discussed ways to enhance their bilateral partnership in the energy sector. While expressing satisfaction at the bilateral energy trade, they agreed that potential exists to further enhance it. They discussed avenues to transform the cooperation from a buyer-seller relationship to a comprehensive partnership with greater collaboration in upstream and downstream sectors. Both sides expressed keenness to support companies of the two countries to increase cooperation in the fields of exploration and production of oil and gas, refining, engineering services, petrochemical industries, new and renewable energy. Both sides also agreed to discuss participation by Kuwait in India's Strategic Petroleum Reserve Programme.

Both sides agreed that defence is an important component of the strategic partnership between India and Kuwait. The two sides welcomed the signing of the MoU in the field of Defence that will provide the required framework to further strengthen bilateral defence ties, including through joint military exercises, training of defence personnel, coastal defence, maritime safety, joint development and production of defence equipment.

The two sides unequivocally condemned terrorism in all its forms and manifestations, including cross-border terrorism and called for disrupting of terrorism financing networks and safe havens, and dismantling of terror infrastructure. Expressing appreciation of their ongoing bilateral cooperation in the area of security, both sides agreed to enhance cooperation in counter-terrorism operations, information and intelligence sharing, developing and exchanging experiences, best practices and technologies, capacity building and to strengthen cooperation in law enforcement, anti-money laundering, drug-trafficking and other transnational crimes. The two sides discussed ways and means to promote cooperation in cybersecurity, including prevention of use of cyberspace for terrorism, radicalisation and for disturbing social harmony. The Indian side praised the results of the fourth high-level conference on "Enhancing International Cooperation in Combating Terrorism and Building Resilient Mechanisms for Border Security - The Kuwait Phase of the Dushanbe Process," which was hosted by the State of Kuwait on November 4-5, 2024.

Both sides acknowledged health cooperation as one of the important pillars of bilateral ties and expressed their commitment to further strengthen collaboration in this important sector. Both sides appreciated the bilateral cooperation during the COVID- 19 pandemic. They discussed the possibility of setting up of Indian pharmaceutical manufacturing plants in Kuwait. They also expressed their intent to strengthen cooperation in the field of medical products regulation in the ongoing discussions on an MoU between the drug regulatory authorities.

The two sides expressed interest in pursuing deeper collaboration in the area of technology including emerging technologies, semiconductors and artificial intelligence. They discussed avenues to explore B2B cooperation, furthering e-Governance, and sharing best practices for facilitating industries/companies of both countries in the policies and regulation in the electronics and IT sector.

The Kuwaiti side also expressed interest in cooperation with India to ensure its food-security. Both sides discussed various avenues for collaboration including investments by Kuwaiti companies in food parks in India.

The Indian side welcomed Kuwait’s decision to become a member of the International Solar Alliance (ISA), marking a significant step towards collaboration in developing and deploying low-carbon growth trajectories and fostering sustainable energy solutions. Both sides agreed to work closely towards increasing the deployment of solar energy across the globe within ISA.

Both sides noted the recent meetings between the civil aviation authorities of both countries. The two sides discussed the increase of bilateral flight seat capacities and associated issues. They agreed to continue discussions in order to reach a mutually acceptable solution at an early date.

Appreciating the renewal of the Cultural Exchange Programme (CEP) for 2025-2029, which will facilitate greater cultural exchanges in arts, music, and literature festivals, the two sides reaffirmed their commitment on further enhancing people to people contacts and strengthening the cultural cooperation.

Both sides expressed satisfaction at the signing of the Executive Program on Cooperation in the Field of Sports for 2025-2028. which will strengthen cooperation in the area of sports including mutual exchange and visits of sportsmen, organising workshops, seminars and conferences, exchange of sports publications between both nations.

Both sides highlighted that education is an important area of cooperation including strengthening institutional linkages and exchanges between higher educational institutions of both countries. Both sides also expressed interest in collaborating on Educational Technology, exploring opportunities for online learning platforms and digital libraries to modernize educational infrastructure.

As part of the activities under the MoU between Sheikh Saud Al Nasser Al Sabah Kuwaiti Diplomatic Institute and the Sushma Swaraj Institute of Foreign Service (SSIFS), both sides welcomed the proposal to organize the Special Course for diplomats and Officers from Kuwait at SSIFS in New Delhi.

Both sides acknowledged that centuries old people-to-people ties represent a fundamental pillar of the historic India-Kuwait relationship. The Kuwaiti leadership expressed deep appreciation for the role and contribution made by the Indian community in Kuwait for the progress and development of their host country, noting that Indian citizens in Kuwait are highly respected for their peaceful and hard-working nature. Prime Minister Shri Narendra Modi conveyed his appreciation to the leadership of Kuwait for ensuring the welfare and well-being of this large and vibrant Indian community in Kuwait.

The two sides stressed upon the depth and importance of long standing and historical cooperation in the field of manpower mobility and human resources. Both sides agreed to hold regular meetings of Consular Dialogue as well as Labour and Manpower Dialogue to address issues related to expatriates, labour mobility and matters of mutual interest.

The two sides appreciated the excellent coordination between both sides in the UN and other multilateral fora. The Indian side welcomed Kuwait’s entry as ‘dialogue partner’ in SCO during India’s Presidency of Shanghai Cooperation Organisation (SCO) in 2023. The Indian side also appreciated Kuwait’s active role in the Asian Cooperation Dialogue (ACD). The Kuwaiti side highlighted the importance of making the necessary efforts to explore the possibility of transforming the ACD into a regional organisation.

Prime Minister Shri Narendra Modi congratulated His Highness the Amir on Kuwait’s assumption of the Presidency of GCC this year and expressed confidence that the growing India-GCC cooperation will be further strengthened under his visionary leadership. Both sides welcomed the outcomes of the inaugural India-GCC Joint Ministerial Meeting for Strategic Dialogue at the level of Foreign Ministers held in Riyadh on 9 September 2024. The Kuwaiti side as the current Chair of GCC assured full support for deepening of the India-GCC cooperation under the recently adopted Joint Action Plan in areas including health, trade, security, agriculture and food security, transportation, energy, culture, amongst others. Both sides also stressed the importance of early conclusion of the India-GCC Free Trade Agreement.

In the context of the UN reforms, both leaders emphasized the importance of an effective multilateral system, centered on a UN reflective of contemporary realities, as a key factor in tackling global challenges. The two sides stressed the need for the UN reforms, including of the Security Council through expansion in both categories of membership, to make it more representative, credible and effective.

The following documents were signed/exchanged during the visit, which will further deepen the multifaceted bilateral relationship as well as open avenues for newer areas of cooperation:● MoU between India and Kuwait on Cooperation in the field of Defence.

● Cultural Exchange Programme between India and Kuwait for the years 2025-2029.

● Executive Programme between India and Kuwait on Cooperation in the field of Sports for 2025-2028 between the Ministry of Youth Affairs and Sports, Government of India and Public Authority for Youth and Sports, Government of the State of Kuwait.

● Kuwait’s membership of International Solar Alliance (ISA).

Prime Minister Shri Narendra Modi thanked His Highness the Amir of the State of Kuwait for the warm hospitality accorded to him and his delegation. The visit reaffirmed the strong bonds of friendship and cooperation between India and Kuwait. The leaders expressed optimism that this renewed partnership would continue to grow, benefiting the people of both countries and contributing to regional and global stability. Prime Minister Shri Narendra Modi also invited His Highness the Amir of the State of Kuwait, Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah, Crown Prince His Highness Sheikh Sabah Al-Khaled Al-Sabah Al-Hamad Al-Mubarak Al-Sabah, and His Highness Sheikh Ahmad Abdullah Al-Ahmad Al-Jaber Al-Mubarak Al-Sabah, Prime Minister of the State of Kuwait to visit India.